चीन में शनिवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रवाना हो गए है। भारत, चीन और रूस व उनके नजदीकी सहयोगी देशों पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान व उज्बेकिस्तान के शीर्ष नेता आज यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र होंगे। इस सम्मेलन का मकसद तमाम वैश्विक मुद्दों को आगे बढ़ाने के साथ ही आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में आपसी सहयोग को मजबूती देने का रहेगा।
माना जा रहा है कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में आतंकवाद से निपटने के तरीके और क्षेत्रीय व्यापार व निवेश को बढ़ावा देने पर भारतीय भूमिका का खाका खीचेंगे। साथ ही दुनिया के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों से जूझने में भारतीय दृष्टिकोण भी स्पष्ट करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन से इतर अन्य देशों के साथ होने जा रही द्विपक्षीय वार्ताओं में भी आतंक से मुकाबले पर एकराय बनाने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री की कोशिश सम्मेलन के निर्णायक प्रस्तावों में सीमापार के आतंकवाद पर अपनी चिंताओं को शामिल कराने की रहेगी।
भारत चाहता है आपसी सहयोग बढ़ाना
भारत की निगाहें सम्मेलन के दौरान एससीओ देशों के साथ सुरक्षा संबंधी सहयोग बढ़ाने के अलावा इसके खासतौर पर सुरक्षा व रक्षा से जुड़े मुद्दों को देखने वाले क्षेत्रीय आंतकनिरोधी ढांचे (आरएटीएस) से अपने संबंध गहरे बनाने पर भी है। वर्ष 2005 से एससीओ में ऑब्जर्वर के तौर पर आने वाले भारत और पाकिस्तान को इस संगठन में पिछले साल पहली बार क्षेत्रीय भू-राजनीति को संतुलित करने के लिए जगह दी गई है।
चाबहार व एनएसटीसी का मुद्दा उठाएगा भारत
कुछ अधिकारियों के अनुसार, भारत की तरफ से व्यापार को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने वाली परियोजनाओं के महत्व पर एससीओ देशों का ध्यान केंद्रित कराने की संभावना है। भारत संसाधनों से भरे मध्य एशियाई देशों तक पहुंच बनाने वाले अपने चाबहार बंदरगाह व इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (एनएसटीसी) को एससीओ देशों के सामने रख सकता है।
कई वैश्विक मुद्दों का रहेगा प्रभाव
– अमेरिका ने ईरान के साथ हाल ही में खत्म किया है परमाणु समझौता
– एससीओ के अहम देश रूस पर अमेरिका ने थोपे हैं प्रतिबंध
– चीन के साथ ट्रेड टैरिफ को लेकर चल रही है अमेरिकी तकरार
वाशिंगटन की कार्रवाईयां करेंगी एकजुट
एससीओ के सदस्य देशों के राजनयिकों का मानना है कि वाशिंगटन की कार्रवाईयों के चलते सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को क्षेत्र के लिए एक समान सहमति बनाने और वैश्विक मुद्दों के दबाव से जूझने के लिए इस ब्लॉक की आवाज को मजबूत बनाने का मौका मिलेगा।
दिखेगा मोदी-शी की वुहान वार्ता का असर : भारतीय राजदूत
बीजिंग। चीन में भारतीय राजदूत गौतम बंबावले ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में बनी सहमति का प्रभाव शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के क्विंगडो शिखर सम्मेलन में दिखाई देगा। वुहान में मोदी-जिनपिंग के बीच दो क्षेत्रों में सहमति बनी थी। पहली भारत और चीन प्रगति और विकास में सहयोगी हैं। दूसरा कि भारत और चीन के बीच बहुत सारी समानताएं हैं। बहुत सारे क्षेत्र हैं, जहां हम अपने मतभेदों से दूर आपस में सहयोग कर सकते हैं।
भारत का है ये पहला एससीओ सम्मेलन
चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के प्रमुख लियाओ जिनरांग ने कहा, भारत और पाकिस्तान, दोनों के पास अपराध से मुकाबला करने और सुरक्षा मजबूत करने का बड़ा अनुभव है। उनका प्रवेश एससीओ सदस्यों के बीच सुरक्षा के लिहाज से विकास की संभावना को बढ़ाएगी और आपसी सहयोग का विस्तार करेगी।