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भारत से चीन को दक्षिणी सागर पर चाहिए मदद

chचीन के विदेश मंत्री वांग 12 अगस्त को 3-दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं। वांग की कोशिश होगी कि वह सितंबर में होने वाले G20 सम्मेलन में दक्षिणी चीन सागर के विवादित मुद्दे को उठाने वाले देशों के साथ शामिल ना होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मना सकें।हाल ही में दक्षिणी चीन सागर विवाद पर अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल का फैसला अपने विरोध में आने के बाद से ही चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी घिर गया है। उसे इस बात की काफी चिंता है कि G20 सम्मेलन में अमेरिका सहित कई देश इस हिस्से पर उसके दावे को लेकर सवाल उठाएंगे। दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र के ज्यादातर हिस्से पर पेइचिंग के दावे को फिलीपीन्स ने चुनौती दी थी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के समुद्रीय कानूनों के तहत इस मामले की सुनवाई के लिए एक ट्राइब्यूनल का गठन किया गया।भारत इस मामले पर संयमित प्रतिक्रिया दे रहा है। भारत ने कहा है कि UN के फैसले को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और सभी संबंधित पक्षों को इस मामले में सहयोग देना चाहिए। चीन भारत की इस प्रतिक्रिया से खुश नहीं है। 3 सितंबर को चीन में आयोजित होने जा रहे G20 सम्मेलन के दौरान PM मोदी के अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग से मुलाकात करने की उम्मीद है। इस सम्मेलन से पहले वांग 3 देशों के दौरे पर जा रहे हैं। वह भारत के अलावा केन्या और उगांडा भी जाएंगे। वांग अपने भारत दौरेे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकात करेंगे। वांग के इस दौरे का एक अहम मकसद मोदी और चिनफिंग की आगामी मुलाकात को सफल बनाने के लिए जमीन तैयार करना भी है। पिछले कुछ समय से भारत और चीन के रिश्तों में काफी तनाव आया है। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में शामिल होने के भारतीय दावे का भी चीन ने विरोध किया था। इसके बाद हाल ही में उत्तराखंड और लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में चीनी फौज द्वारा घुसपैठ की भी खबरें आई थीं।

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