वाराणसी। भोजपुरी भाषी लोगो के आस्था का कमाल है कि सूर्य देवता के रूप में तथा नदी देवी के रूप में पूजित हुयी। इसी भाषा के लोक जनमानस के चलते सूर्य पूजा, मकर संक्रान्ति तथा छठ पूजा का स्वरूप विद्वमान है। सोमवार को यह बातें बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केन्द्र में आयोजित “भोजपुरी क्षेत्र के मनीषी’ विषयक व्याख्यान में नीलय उपाध्याय ने कही।
केन्द्र के तत्वावधान में चल रहे “जनपदीय अध्ययन : स्वरूप एवं दिशाएं” 15 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में नवें दिन श्री उपाध्याय ने कहा कि भोजपुरी क्षेत्र नदियों का हृदय प्रदेश है। गंगोत्री से गंगासागर की यात्रा में गंगा नदी के खास योगदान का जिक्र कर कहा कि मनुष्यों को जो कुछ आज प्राप्त है वह नदियों से प्राप्त हैं। नदियों का गुरुत्व केन्द्र भी भोजपुर क्षेत्र रहा है। व्याख्यानमाला में प्रो0 बलिराज पाण्डेय ने कहा कि भोजपुरी समाज के विभिन्न मनीषी मंगल पाण्डेय, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, प्रो0 नामवर सिंह और चन्द्रशेखर सिंह शिक्षा साहित्य, राजनीति समाज पर व्यापक प्रभाव डाला । अध्यक्षता प्रो0 आफताब अहमद आफाकी ने की इसमें वरिष्ठ पत्रकार मोहन सिंह ने भी विचार रखा। संचालन गौरव प्रकाश व धन्यवाद विश्वमौलि ने किया।