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मलेशिया में बढ़ रही ज़ाकिर नाईक की मुश्किलें, इसलिए बढ़ी प्रत्यर्पण की संभावना

मलेशिया में बढ़ रही ज़ाकिर नाईक की मुश्किलें, इसलिए बढ़ी प्रत्यर्पण की संभावना

विवादित इस्लामिक प्रचारक ज़ाकिर नाईक के भारत वापस आने की खबरों ने एकबार फिर ज़ोर पकड़ा है. पहले मलेशिया से ऐसी खबर आई कि ज़ाकिर बुधवार रात को ही भारत आ सकता है, लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि ये खबरें सही नहीं हैं. बाद में ज़ाकिर नाईक का भी बयान आया कि वह भारत नहीं आ रहा है.मलेशिया में बढ़ रही ज़ाकिर नाईक की मुश्किलें, इसलिए बढ़ी प्रत्यर्पण की संभावना

हालांकि, जिस तरह से मलेशिया में नई सरकार आई है और उसकी नीति है ऐसे में ज़ाकिर ज्यादा दिनों तक भारत की पकड़ से दूर नहीं रह सकता है. मलेशिया में महातिर बिन मोहम्मद का एक बार फिर प्रधानमंत्री के तौर पर चुनकर आना इस्लामिक प्रचारक की मुश्किलों को काफी बढ़ा सकता है.

दरअसल, महातिर मोहम्मद ने जब से सत्ता संभाली है तभी से वह पिछली सरकार के कई फैसलों को पलट रही है. ऐसा माना जाता रहा है कि नज़ीब रज्जाक की सरकार की अगुवाई में ज़ाकिर नाईक को वहां बसने में आसानी हो रही थी.

मलेशियाई पुलिस के प्रमुख तान श्री मोहम्मद ने भी बुधवार को कहा कि आज ही ज़ाकिर का भारत लौटना सच नहीं है, हालांकि आगे का कुछ नहीं बता सकते हैं.

बुधवार को जैसे ही ज़ाकिर के बारे में खबरें मीडिया में छाई तो विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने जनवरी में ज़ाकिर के प्रत्यर्पण की बात मलेशियाई सरकार से की थी और उसपर कार्रवाई लगातार जारी है. हालांकि, अभी जो खबरें चल रही हैं उसपर आधिकारिक तौर पर हमें वहां की सरकार से कुछ नहीं कहा गया है.

आपको बता दें कि बीते 31 मई को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद की कुआलालम्पुर में मुलाकात हुई थी.

बुधवार को जाकिर ने कहा कि अभी मेरा भारत आने का कोई प्लान नहीं है, जब तक निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी तब तक वह नहीं आएंगे. इसके अलावा नाइक ने कहा कि जब मुझे लगेगा कि भारत में निष्पक्ष सरकार है वह तभी भारत वापस आएगा.

गौरतलब है कि एनआईए ने 18 नवंबर 2016 को अपनी मुंबई शाखा में नाइक के खिलाफ यूएपीए कानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

बांग्लादेश में आतंकी हमले से जुड़े तार

डॉक्टर नाईक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड विधान की धारा 20 (b), 153 (a), 295 (a), 298 and 505 (2) के तहत आरोप तय किए गए थे. बांग्लादेश में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों ने जब जाकिर से प्रभावित होने की बात कबूली, तो वो 1 जुलाई, 2016 को भारत से भाग गया. इसके बाद नवंबर, 2016 में जाकिर के खिलाफ केस दर्ज किया गया और दिसंबर, 2016 में जाकिर के एनजीओ को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बैन कर दिया था.

कई देशों में बैन है नाईक का पीस टीवी

NIA ने जाकिर पर देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया था. आतंकी संगठन ISIS में शामिल होने के लिए देश छोड़ने वाले भारतीय युवकों ने भी भारतीय एजेंसियों को बताया था कि वे जाकिर के भाषण से प्रभावित थे. जाकिर नाईक के पीस टीवी को कई देशों में बैन किया गया है.

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