बिहार में राजग की संयुक्त ताकत के खिलाफ दिल्ली में पांच दलों की एकता के एलान के बाद महागठबंधन में अब सीटों की हिस्सेदारी पर चर्चा-ए-आम है। अगले कुछ दिनों में समन्वय समिति की बात आगे बढ़ेगी। चुनाव के मुद्दे भी तय किए जाएंगे। घटक दल अपने-अपने संभावित प्रत्याशियों को नाप-तौल कर सीटों की दावेदारी करेंगे। महत्वपूर्ण बात यह कि ये सारी कवायद खरमास के बाद होगी। अभी सभी दल आत्ममंथन करेंगे।
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्र्रेस और राजद समेत पांच दलों ने मिलकर बिहार में अबतक का सबसे बड़ा सियासी गठबंधन बनाया है। इसके पहले बिहार में इतने सारे दलों ने कभी एक साथ इतना बड़ा चुनावी गठबंधन नहीं किया था। भाजपा-जदयू की संयुक्त ताकत के खिलाफ राजद-कांग्रेस के पक्ष में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी के साथ रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव भी एकजुट हो गए हैं।
हालांकि वामपंथी दलों को इस महागठबंधन में शामिल करने की औपचारिकता अभी बाकी है। सीटों की दावेदारी समेत कुछ अन्य मसले हैं, जिनका समाधान अगले कुछ दिनों में निकालने की कोशिश हो सकती है। महागठबंधन के घटक दलों को लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान का भी इंतजार है।
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने दावा किया है कि पासवान के लिए कोई बेकरार नहीं है, लेकिन इंतजार जरूर है। कुशवाहा की इंट्री के बाद महागठबंधन ने सीटों की हिस्सेदारी का फार्मूला लगभग तय कर लिया है। राजद एवं कांग्र्रेस की भूमिका बड़े भाई की होगी। लिहाजा ये दोनों दल अपनी सीटों का बंटवारा बाद में करेंगे।
कुशवाहा को चार, मांझी को मिलेंगी तीन सीटें
प्रारंभिक सहमति के मुताबिक कुशवाहा को चार सीटें मिल सकती हैं। उनकी मांग सात सीटों की थी। कुशवाहा के लिए काराकाट सीट छोडऩे पर राजद तैयार हो गया है। उजियारपुर पर मामला अभी अटका हुआ है। यहां से आलोक मेहता को लड़ाने के लिए राजद अड़ा हुआ है।
मांझी के खाते में भी तीन सीटें आ सकती हैं। गया, नवादा और मुंगेर पर राजद की रजामंदी पहले से ही है। शरद यादव के हिस्से में भी दो सीटें आ सकती हैं। इसके अलावा भाकपा और माले से बात बनी तो उनका ख्याल भी रखा जा सकता है। माकपा के लिए बात नहीं बन पा रही है।