गुना। देश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों में शुमार आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग के जख्म (गड्ढे) मिट्टी से भरे जा रहे है। गड्ढे भरने के लिए लाल मुरम का इस्तेमाल किया जा रहा है। गड्ढे में मिट्टी भरकर उसे रोड रोलर के जरिए समतल करने का काम इन दिनों हाईवे पर चलते देखा जा सकता है। इसके साथ ही इसी मिट्टी के उड़ने से हो रही वाहन चालकों को परेशानी भी यहां देखी जा सकती है। मिट्टी से गड्ढे भरने को लेकर लगातार जताई जा रही आपत्तियों पर भी हाईवे प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा है।इधर, हाईवे के गड्ढों पर मिट्टी डाली जा रही है और उधर मिट्टी उड़ने के चलते गड्ढे फिर दिखाई देने लगे है। इसके साथ ही दो-तीन रोज से रह-रहकर हो रही बारिश से मिट्टी गीली हो गई है, जो वाहनों के पहिए से चिपककर भी जा रही है। इसके चलते पूरा वाहन चिकना हो गया है, वहीं गड्ढे फिर पहले की तरह दिखाई देने लगे है। यहां सवाल यह है कि मिट्टी से गड्ढे भरने का अजीब आईडिया आया किसके दिमाग में? जबकि गिट्टी और सीमेन्ट के मिश्रण के साथ डामर से गड्ढे भरे जाते रहे है। जिससे पेंचवर्क लंबे समय नहीं तो कुछ समय तो टिक सके।हाईवे की हालत बारिश से पहले ही खराब हो गई थी। मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे उभर आए थे तो कई जगह यह गहरी खाई के रुप में दिखाई देने लगे थे। पूरी बारिश हाईवे की इसी खस्ताहाली के बीच लोगों ने निकाली है। हाईवे प्रबंधन ने तत्समय आश्वस्त किया था कि बारिश के बाद हाईवे पर पेंचवर्क कराया जाएगा, किन्तु अब मिट्टी से गड्ढे भरकर एक बार फिर पेंचवर्क के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। हाईवे पर पेंचवर्क मजाक बनकर रह गया है। पिछले चार-पांच साल से हाईवे पर हर साल लाखों रुपए खर्च कर पेंवचर्क किया जाता है और हर साल यह उखड़ जाता है, कुछेक बार तो पेंचवर्क होते-होते ही उखड़ने लगता है। इसके बावजूद अब तक अपवाद छोडक़र इसको लेकर कहीं कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। वर्तमान में भी यह हालत है कि हाईवे पूरी तरह उखड़ चुका है और इस पर चलने वाली अधिकांश लंबी दूरी की बसें ऑपरेटरों ने हटा ली हैं, जो चल रही है वह अशोकनगर मार्ग से आ-जा रहीं हैं।