लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के सभागार में घर-आँगन-देहरी पुस्तक का लोकार्पण किया। नवीनचंद्र वाजपेयी द्वारा लिखित यह पुस्तक आत्मकथा शैली में लिखी गयी है। इसमें आत्मालोचना के साथ कुछ अपने कार्यों को भी गिनाया गया है।मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा कि श्री वाजपेयी की किताब पूरी तरह से अनुभव से भरी पड़ी है। किताब से युवाओं को भी दिशा मिलेगी। परिस्थितियों से गुजरते हुए होने वाले कटु अनुभवों को सलीके से लिखना सबको नहीं आता। नेताजी के साथ काम करने वाले कुछ ही अधिकारियो के साथ काम करने का मौका मिला है। उनमें से ही एक श्री वाजपेयी जी है। श्री वाजपेयी ऐसे अधिकारियों में से थे जो काम करते थे। जिनकी संवेदना का पता इनके चिड़िया घर को बचाने के लिए किये गए कार्यो से पता लगाया जा सकता है।श्री वाजपेयी ने अपने संबोधन कहा कि अखिलेश युवाओ के ह्रदय सम्राट हैं। इन्हें ऐसा संबोधन करने पर पहले डांट पड़ चुकी है। उन्होंने कहा कि साहित्य तब लिखा जाना चाहिए जब मन की हलचल तेज हो जाये। साहित्य सृजन सोच विचार कर नही किया जाता, वह हो जाता है।बचपन से बुढ़ापे तक के सफर की कहानी और अनुभवों को साझा करने का काम किया है। इसमें प्रशासनिक गुण-अवगुण को भी उद्धृत करने का प्रयास किया है। सत्ता के गलियारे की कटु अनुभवों को भी साझा करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मन की हम चमन को गुलजार न कर सके, लेकिन जिधर से गुजरे उधर का कुछ भर तो कम कम कर सके।वहीं गोपालदास नीरज ने कहा कि जीवन की गहराइयों को जानने में किताबों का बड़ा रोल है। इसलिए किताबो से सीखें। उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मैंने इस किताब को बड़े मनोयोग से पढ़ा है। लोकतंत्र में बड़े पदों पर काम करने वालो को किताबे लिखने की जरूरत है। इस किताब में छोटी सी छोटी बात के महत्त्व को भी बताया गया है।माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि वाजपेयी जी के जीवन के बहुमूल्य क्षणों को लिखकर श्री वाजपेयी ने नई निडरता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र से आने वाली बजट के बारे श्री वाजपेयी ने कई बार गलत निर्णयों के लेने से पूर्व ही आगाह किया है। इनके जीवन की निडरता किताब में भी दिख रही है।