लखनऊ। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के लिए मंगलवार की शाम पांच बजे प्रचार थम गया। इसके साथ ही पिछले एक माह से 12 जिलों की 53 सीटों के लिए हो रहा चुनावी शोर बंद हो गया है।
इस चरण में पिछले चुनाव (वर्ष 2012)में सबसे ज्यादा सीटों पर विजयी पताका फहराने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के सामने अपना प्रदर्शन बरकार रखने की चुनौती है।
चौथे चरण के लिए 23 फरवरी को इलाहाबाद, बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर, हमीरपुर, जालौन,झांसी, कौशाम्बी,ललितपुर, महोबा, प्रतापगढ़ और रायबरेली की 53 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे। इस चरण में कई दिग्गजों के चुनाव मैदान में होने से चुनाव दिलचस्प हो गया है।
इस चरण में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या और मंत्री शिवाकांत ओझा, उज्जवल रमण सिंह, नेता विरोध दल गया चरण दिनकर, विवेक कुमार सिंह, पूर्व मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल, पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज, रायबरेली के कई बार विधायक रहे अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह और कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की पुत्री अराधना मिश्रा के अलावा भाजपा अध्यक्ष केशव मौर्या के लिए भी यह चरण चुनौती भरा है। मौर्या कौशाम्बी के रहने वाले हैं और इलाहाबाद से सांसद हैं।
इस चरण की 53 सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन के पास आधी से अधिक सीटे हैं। सपा के पास 24 और कांग्रेस के पास छह सीटें हैं। इस तरह इस चरण की 53 सीटों में 30 पर सपा-कांग्रेस गठबंधन का कब्जा है। इसके बाद बसपा 15 सीटों पर काबिज है तो सबसे बुरी हालत भाजपा की है उसके खाते में सिर्फ पांच सीटें हैं। भाजपा के हालत तो सबसे ज्यादा बुंदेलखंड में रही थी। यहां की 19 सीटों में उसे मात्र एक सीट ही हासिल हुई थी।
इसीबीच चुनाव आयोग ने भी आज चौथे चरण के मतदान के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करके स्थिति की समीक्षा की है। आयोग ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। आयोग ने कहा है कि जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेंगे कि मतदाता को किसी भी तरह से प्रभावित न किया जाए। न उन्हें कोई प्रलोभन देने का प्रयास करे और न ही उन्हें मतदान करने से रोकने के प्रयास हों।