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यूपी टीईटी 2018 में पूछे गए तीन प्रश्नों के गलत जवाब से हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों को समान अंक देने का निर्देश दिया

प्रदेश के परिषदीय स्कूलों की 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा छह जनवरी को ही होगी। यूपी टीईटी 2018 में पूछे गए तीन प्रश्नों के गलत जवाब से हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों को समान अंक देने का निर्देश दिया है। इस आदेश का अनुपालन करते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव आज तीन बजे तक नए सिरे से संशोधित परिणाम जारी करेंगे। इसके साथ ही ऑनलाइन आवेदन अब 20 से बढ़ाकर 22 दिसंबर की शाम छह बजे तक लिए जाएंगे।

बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव डा. प्रभात कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए उसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। तीन प्रश्नों में अभ्यर्थियों को समान अंक दिए जाएंगे, इसका फायदा चंद अंकों से अनुत्तीर्ण अभ्यर्थियों को मिलेगा। डा. कुमार ने बताया कि वह शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा के लिए आवेदन कर सकें इसलिए अंतिम तारीख दो दिन बढ़ाकर 22 दिसंबर तक की जा रही है।

उत्तर कुंजी के बाद हुआ उलटफेर

शिक्षक पात्रता परीक्षा की वजह से सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा पर संकट खड़ा हुआ था, जिसे अफसरों ने तत्परता से संभाल लिया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने उत्तर कुंजी पर आपत्तियां लेने के बाद प्राथमिक स्तर में छह व उच्च प्राथमिक स्तर पर तीन सवालों के जवाब बदले थे। यही नहीं प्राथमिक स्तर में एक उत्तर के सभी उत्तर विकल्प गलत मानकर समान अंक देने का निर्णय लिया था और प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर पर दो-दो प्रश्न ऐसे थे, जिनके दो-दो उत्तर विकल्प सही माने गए। यह कवायद कोर्ट में काम नहीं आई।

14 प्रश्नों को चुनौती, तीन में जीत

अभ्यर्थियों ने 14 प्रश्नों के जवाब को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, उसमें से ङ्क्षहदी के दो और उर्दू के एक प्रश्न के उत्तर को गलत मानकर कोर्ट ने सभी अभ्यर्थियों को समान अंक देने का आदेश दिया। खास बात यह है कि हिंदी विषय के जिन प्रश्नों के दो-दो उत्तर विकल्प सही माने गए, उन्हीं प्रश्नों पर कोर्ट ने समान अंक देने का निर्देश दिया है। असल में प्रश्नों को चुनौती देने वाले वे अभ्यर्थी हैं, जो चंद अंकों से पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण हो रहे थे और उनके पास पर्याप्त साक्ष्य भी थे।

टीईटी 2017 में भी फंसे थे तीन प्रश्न

68500 शिक्षक भर्ती के पहले टीईटी 2017 में पूछे गए प्रश्नों के जवाब पर भी पेंच फंस गया था। उस समय 16 प्रश्नों के जवाब को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई थी। सिंगल बेंच ने अभ्यर्थियों के दावे से सहमत होकर अधिकांश प्रश्नों के जवाब को गलत मानकर परिणाम बदलने का निर्देश दिया था। उस आदेश को सरकार ने डबल बेंच में चुनौती दी थी। कोर्ट ने प्रश्नों के जवाब की जांच लखनऊ विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से कराई। इसमें 13 प्रश्नों पर परीक्षा संस्था का जवाब सही माना, जबकि तीन प्रश्नों में जवाब को ही गलत माना या फिर दिए गए विकल्पों में से किसी को सही नहीं माना। इसमें समान अंक दिए गए। कोर्ट के आदेश पर संशोधित रिजल्ट जारी हुआ और फिर नए सिरे से अभ्यर्थियों से आवेदन लिए गए। इसीलिए 12 मार्च को होने वाली शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 27 मई को कराई गई थी। यह मामला शीर्ष कोर्ट तक पहुंचा है। 

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