सभी जानते हैं कि नगर का प्रथम नागरिक शहर का महापौर होता है और उनका सम्मान भी शहर के लिए बेहद मायने रखता है। लेकिन शहर में तो हकीकत बिल्कुल उलट गई है। नगर की महापौर रिक्शा पर चलने को मजबूर हो गईं हैं, इतना ही नहीं पुलिस, प्रशासन और यहां तक कि उनके अपने ही नगर निगम के अधिकारी भी उनकी नहीं सुन रहे हैं। यह बात गुरुवार को पत्रकारों से वार्ता में महापौर प्रमिला पांडेय ने स्वयं बताई।
महापौर के वाहन की सर्विस को नगर निगम के पास पैसा नहीं
महापौर प्रमिला पांडेय ने बताया कि शपथ लिये जाने के बाद नगर निगम की ओर से यूपी 78 बीजी 0756 आरटीओ पंजीकृत वाहन (इनोवा) उन्हें उपलब्ध कराया गया। तब से अबतक संबंधित कंपनी के सेंटर में दो बार वाहन की सर्विस हुई। तीसरी बार चालक वाहन की सर्विस के लिए सेंटर गया तो उससे पिछला भुगतान न होने पर सर्विस करने से मना कर दिया गया। इसपर जब उन्होंने नगर निगम के लेखाधिकारी से पूछा तो उन्होंने निधि में धन नहीं होने से सर्विस चार्ज का भुगतान अबतक न हो पाने की बात कही। उन्होंने रोष जताया कि क्या निधि में इतना धन भी नहीं है कि सर्विस चार्ज का भुगतान हो सके। अब वह सरकारी वाहन का प्रयोग ही नहीं करेंगी। महापौर नगर निगम से रिक्शे पर सवार होकर रवाना हुईं तो देखने वाले कर्मचारी और लोग भी चर्चा करने लगे।
…जब समर्थकों ने की महापौर की सुरक्षा
महापौर प्रमिला पांडये ने बताया कि बीते दिवस ग्वालटोली में नाले पर अतिक्रमण हटवाने गईं थीं। उनके साथ कुछ समर्थक और नगर निगम के कर्मचारी ही थे। उन्हेंने इस बाबत पहले ही आईजी को फोन पर जानकारी दी थी तो उन्होंने फोर्स भेजने की बात कही थी लेकिन मौके पर पुलिस फोर्स नहीं आया। अतिक्रमण हटाये जाने से नाराज बस्ती के लोगों ने उन्हें घेर लिया और असहज स्थिति बन गई। इसपर आईजी से फोर्स भेजने को कहा तो उन्होंने कहा कि एसपी पूर्वी को आदेश कर चुके हैं। एसपी पूर्वी से फोन पर बात की तो उन्होंने किसी जुलूस में फोर्स जाने की जानकारी देकर असमर्थता जता दी। समर्थकों ने किसी तरह उन्हें जनता के बीच से निकाला। महापौर ने कहा कि यदि उनके साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता।
नहीं सुनते पुलिस अधिकारी, कैसे कराएं काम
महापौर प्रमिला पांडेय ने कहा कि शहर में अतिक्रमण, जाम और गंदगी की समस्या है। वह शहर को जाम और अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहती हैं लेकिन इस कार्य में पुलिस और प्रशासन का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। अतिक्रमण हटवाने के लिए फोर्स की मांग की जाती है, जो नहीं मिलती है। शहर में कोई काम करना चाहो तो प्रशासन साथ नहीं दे रहा है। जबकि पार्टी नेतृत्व का दबाव है कि समस्याओं का निस्तारण किया जाए। वह इसकी शिकायत लिखित तौर पर मुख्यमंत्री को भेज रही हैं।
नगर निगम के अफसर भी नहीं देते सही जानकारी
शहर में अवैध स्टैंड को लेकर वह अभियान चला चुकी हैं। महापौर ने कहा कि अवैध स्टैंड के कारण जगह जगह जाम की स्थिति बनी रहती है। कई जगह से अवैध स्टैंड हटवा चुकी हूं। अभी एक जगह टेंपो स्टैंड फिर से संचालित मिला, इसपर पूछताछ की तो कहा गया नगर निगम को पैसा देते हैं। इसके बाद जब नगर आयुक्त से पूछा तो पता चला कि उस जगह के टेंपो स्टैंड का कोई पंजीकरण नहीं है। नगर निगम के अफसर भी सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। शहर में अवैध टेंपो स्टैंड संचालित हैं लेकिन उनपर कार्रवाई नहीं हो रही है।