इलाहाबाद । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उ.प्र. बार कौंसिल के चेयरमैन अनिल प्रताप सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एवं तत्जनित आदेशों के अमल पर छह दिसम्बर तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने बार काउंसिल से अविश्वास प्रस्ताव संबंधी पत्रावली तलब की है। याचिका की सुनवाई छह दिसम्बर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा की खण्डपीठ ने अनिल प्रताप सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने बार कौंसिल से 48 घंटे में याचिका पर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने कहा है कि क्या अधिवक्ता अधिनियम एवं बार कौंसिल बाईलाॅज में बिना किसी उपबंध के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है या नहीं? कोर्ट ने कहा कि प्रस्तुत तथ्यों व दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि जिस सभा ने अध्यक्ष चुना था, उसी ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे पद से हटाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
याचिका पर अनूप त्रिवेदी व बार कौंसिल की तरफ से अधिवक्ता राकेश पाण्डेय ने बहस की। त्रिवेदी का तर्क था कि न तो अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्राविधान एडवोकेटस एक्ट में है और न ही यूपी बार कौंसिल के नियमावली में।
उनका तर्क था कि मीटिंग बुलाने का अधिकार या तो चेयरमैन को होता है या रिक्विजिशन लाकर बार कौंसिल के सचिव का होता है। दोनों के द्वारा मीटिंग नहीं बुलायी गयी थी ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव अवैध था।
मालूम हो कि कतिपय अनियमित कार्य करने के आरोप में अध्यक्ष के खिलाफ 26 नवम्बर 16 को अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटा दिया गया और उपाध्यक्ष दरवेश सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया।
इसे याचिका में यह कहते हुए चुनौती दी गयी कि अविश्वास प्रस्ताव पर आहूत मीटिंग में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। साथ ही अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाने का कोेई उपबंध नहीं है। ऐसे में याची को पद से हटाने का प्रस्ताव रद्द किया जाए।