गुवाहाटी। लंबे समय से असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अद्यतन की मांग को लेकर आवाज उठती रही। पूर्व की राज्य सरकार ने इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया। लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार को एनआरसी अद्यतन का काम आरंभ किया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 68.08 लाख लोगों ने एनआरसी अद्यतन करने के लिए प्रपत्र दाखिल किया है। अब तक 97.34 प्रतिशत दस्तावेजों की छानबीन हो चुकी है।
प्रपत्रों के सत्यापन के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज पाए गए हैं। इस दौरान विदेशी नागरिकों के नाम एनआरसी में दर्ज कराने के लिए एनआरसी अधिकारियों पर जबरन दबाव डाला जा रहा है। प्रपत्रों की जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जिसमें 300 लोगों के पिता के रूप में एक व्यक्ति को दिखाया गया है। इससे यह साबित हो रहा है कि राज्य में बड़े पैमाने पर विदेशी घुसपैठिए भारतीय नागरिक बनने के लिए किस कदर हाथ-पैर मार रहे हैं।
चालू बजट सत्र के दौरान हाल ही में असम सरकार के संसदीय मामलों के मंत्री चंद्रमोहन पटवारी ने विधानसभा को बताया था कि एनआरसी अद्यतन के लिए प्रस्तुत फर्जी व नकली पाए गए प्रपत्रों में से राज्यभर में 130 एफआईआर दर्ज किया गया है। सूत्रों के अनुसार एनआरसी में फर्जी लोगों का नाम डलवाने वाले बिचौलिए एक ऐसा तंत्र विकसित कर लिए हैं, जिसके जरिए वे बांग्लादेशी घुसपैठियों को फर्जी प्रमाण-पत्र जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, स्कूल ट्रांस्फर सर्टिफिकेट मुहैया करा रहे हैं। यह कितना हास्यापद है कि विदेशी घुसपैठिए नागरिक को भारतीय नागरिकता का फर्जी दस्तावेज मुहैया कराया जा रहा है। इसमें सरकारी अधिकारी भी शामलि हैं।
उल्लेखनीय है कि एनआरसी अद्यतन का आधार 1951 से 24 मार्च, 1971 बीच की मतदाता सूचियों में आए नाम हैं। अगर किसी आवेदक के पास उपरोक्त दस्तावेज नहीं है तो वे 24 मार्च, 1971 के पहले का कोई भी सरकारी दस्तावेज उपलब्ध कराकर अपना नाम एनआरसी में दर्ज करा सकता है। ज्ञात हो कि राज्य में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिएं हैं, जो एनआरसी अद्यतन में अपना नाम दर्ज कराने के लिए सभी तरह के फर्जी हथकंडे अपना रहे हैं।