भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंजीनियर क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के 9,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। सेबी का कहना है कि इससे कंपनी के कर्ज और इक्विटी का अनुपात बिगड़ जाएगा।
बाजार नियामक ने 18 जनवरी को लार्सन एंड टुब्रो को लिखे अपने पत्र में कहा, “इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप इस बायबैक ऑफर को आगे न बढ़ाएं। शेयरों के बायबैक के बाद कंपनी पर बकाया कुल गारंटी और बगैर गारंटीवाला कर्ज उसकी चुकता पूंजी और मुक्त आरिक्षित कोष के दोगुना से अधिक हो जाएगा।” एलएंडटी ने इस लेटर की कॉपी स्टॉक एक्सचेंज को शनिवार को भेज दी थी। एलएंडटी के एग्जीक्यूटिव ने तर्क दिया कि नियामक ने इससे पहले अपने नियमनों में कंसॉलिडेटेड डेट का उल्लेख नहीं किया था।
क्या होता है शेयर बायबैक?
बायबैक एक निर्धारित समय में पूरी की जाने वाली एक प्रक्रिया है जिसमें निवेशकों के अतिरिक्त शेयरों को अपने सरप्लस का इस्तेमाल कर खुले बाजार से खरीदा जाता है। ये शेयर बाजार मूल्य या उससे ज्यादा कीमत पर खरीदे जाते हैं, हालांकि इसें एक शर्त शामिल होती है कि यह मैक्सिमम बायबैक से ज्यादा नहीं हो सकता है।
कंपनियां क्यों करती हैं बायबैक?
कंपनियां प्रीमियम पर शेयर्स की खरीद कर बाजार में इनकी संख्या को कम करती है और शेयर की कीमत को स्थिर करने का प्रयास करती हैं। इससे कंपनियों के वित्तीय अनुपात में भी सुधार आता है। इतना ही नहीं बायबैक करने के बायबैक से कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी बढ़ती है और किसी भी टेकओवर के खतरे को टाला जा सकता है।
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