वित्त मंत्री अरुण जेटली अंतरिम बजट 1 फरवरी को पेश करेंगे.बजट से पहले नौकरीपेशा लोगों के अलावा अलग-अलग सेक्टर से जुड़े तमाम लोगों को बजट से काफी उम्मीदें हैं. इस बार वित्तीय दबाव से जूझ रही भारतीय रेलवे भी अंतरिम बजट से बड़ी उम्मीदें लगाए हुए है. रेलवे को उम्मीद है कि इस बार केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली फाइनेंशियल सपोर्ट को बढ़ाया जाएगा. इसके लिए रेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को साल 2019-20 के लिए मिलने वाली वित्तीय सहायता में 25 से 30 प्रतिशत के इजाफे की मांग की है.
70 हजार करोड़ की वित्तीय सहायता देने की मांग
सूत्रों के अनुसार रेलवे मिनिस्ट्री ने वित्त मंत्रालय से अंतरिम बजट में रेलवे को तकरीबन 65,000 से 70,000 करोड़ रुपये की फाइनेंशियल सपोर्ट देने की मांग रखी है. सूत्रों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में मिले 53,060 करोड़ रुपये की कुल बजटीय सहायता के मुकाबले वित्त वर्ष 2019-20 में इसे बढ़ाकर तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही गई है. रेलवे का तर्क है कि 7वें वेतन आयोग, इंफ्रास्ट्रक्चर पर जबरदस्त खर्च, डीजल की कीमत में आए उछाल के चलते बिगड़ा बजट इसकी अहम वजह है. इसी कारण रेलवे की वित्तीय हालात गड़बड़ा गई है.
1 फरवरी को रेलवे को बढ़ी उम्मीदें
ऐसे में 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में रेलवे को उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में बढ़े खर्च को देखते हुए वित्त मंत्रालय उसके बजट में इजाफा करेगा. आपको बता दें 7वें वेतन आयोग के कारण रेलवे मंत्रालय पर 23 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ा है. दूसरी तरफ नौकरीपेशा लोगों को भी 1 फरवरी को आने वाले बजट से उम्मीद है. एक मीडिया रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली मध्य वर्ग को राहत देते हुए इस बार आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दोगुनी कर सकते हैं.
बढ़ सकती है आयकर छूट की सीमा
अभी यह छूट वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये हो सकता है, जबकि मेडिकल खर्चो और परिवहन भत्ते को भी फिर से बहाल कर सकते हैं. इससे नोटबंदी के कारण बेहाल मध्य वर्ग को थोड़ी राहत मिलेगी. यदि ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को मिलेगा. रिपोर्ट में यह भी गया कि भाजपा सरकार चुनावों को देखते हुए मध्य वर्ग को खुश करने की कोशिश करेगी.