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शो ‘अस्तित्व’ को छोडने का दुख आजतक है : वैष्णवी मैकडोनाल्ड

Vaishnavi  Mahant - TV Actress - Sapno Se Bhare Nainaदूरदर्शन का लोकप्रिय शो ‘शक्तिमान’ के गीता पात्र से सुर्खियां बटोरने वाली वैष्णवी मैकडोनाल्ड ने इसके बाद जितने भी टीवी शो में काम किया किन्तु लाख प्रयास के बाद भी वह ‘गीता’ टाइप्ड को नही मिटा पायीं। बहुत से पाठको नही पता होगा कि वैष्णवी ने अपना करियर फिल्म ‘वीराना’ से किया था। वैरी पिया,भास्कर भारती,देखों मगर प्यार से,कहे ना कहे,कसौटी जिन्दगीं की,ममता,सपने सुहाने लडकपन के,मिले जब हम तुम से,के पाली स्ट्रीट हिल जैसे अपने धारावाहिकों में उन्होंने विविधापूर्ण किरदारों को जिया। इन दिनों एक नये किरदार के रूप नजर आ रही है,जी टीवी शो टशन-ए-इश्क’ में । अपने शो को लेकर क्या सोचती है वैष्णवी जानते है,उनकी ही जुबानी।

आखिर ऐसा हुआ की आप चाह के भी गीता छाप को नही मिटा पायीं ?

दूरदर्शन शो ‘शक्तिमान’ अपने समय का लोकप्रिय शो था,जितने आम दर्शकों के साथ साथ में बच्चों को ज्यादा प्रभावित किया। इसी कारण लोग मुझे अपने नाम से ज्यादा गीता विश्वास के नाम से जानने लगे थे,वह सिलसिला आज भी जारी है।

आपको नही लगता कि इस पहचान का कारण दूरदर्शन ही एक मात्र चैनल होना था ?
जी हाॅ। आप सेही कह रहे है।

जी टीवी पर शो ‘टशन-ए-इश्क’ का प्रसारण चल रहा हैउसके बारे में कुछ बताएं?
यह किरदार मेरे पिछले किरदारों से बिल्कुल अलग है। मैं इसमें तेज तर्रार पंजाबी बिजनेस टायकून का रोल निभा रही हूं। वह अपनी जडों से जुडी है और मां हैं। मैं जानती हूं कि आज के जमाने के पंजाब में मेरे जैसी महिलाएं भी हैं, इसलिए यह किरदार दर्शकों से आसानी से जुडी जाता है।

ईवा ग्रोवर के साथ आपकी केमिस्ट्री कैसी रही?
मैं ईवा को कई साल से जानती हूं। दरअसल, हमने एक साथ ही इंडस्ट्री में शुरुआत की थी। उनके साथ काम करना शानदार रहा। विरोधी किरदार अक्सर काम कर जाते हैं। जैसे कि हमें पर्दे पर एक दूसरे की दुश्मन के रूप में दिखाया जाता है और पर्दे से इतर हमारी आपस में खूब बनती है।

आप एक्टिंग के करिअर में कैसे आईं?
मेरा एक्टिंग करियर बचपन से ही शुरू हो गया था। मैं उस समय 9 साल की थी जब मैंने ‘वीराना’ नाम की एक फिल्म में काम किया था। मुझे तब ही पता चला कि मैं उतनी कैमरा काँशियस नहीं हूं जितना मुझे लगता था। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ब्रेक लिया और फिर तकदीर मुझे इस दुनिया में ले आई। मैंने चंद फिल्में भी की लेकिन मुझे एहसास हुआ कि फिल्मों में चीजें काम नहीं कर रही हैं। इसके बाद मुझे टीवी शो में लीड रोल ऑफर किया गया। इसके बाद फिर मैंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा।

आपको कौन सा माध्यम पसंद है, टीवी या फिल्में?
मेरे लिए फिल्मों से ज्यादा अहमियत टीवी की है। यह तुलनात्मक रूप से सुरक्षित माध्यम है। इसमें आपका विकास भी होता है। इसने मुझे मेरी पहचान दी है।

अपने लंबे टेलीविजन करियर में क्या कोई रोल न करने का अफसोस है?
मुझे जी टीवी के मशहूर धारावाहिक ‘अस्तित्व – एक प्रेम कथा‘ में लीड रोल ऑफर किया गया था लेकिन उस समय में तीन माह से गर्भवती थी। जी की टीम ने प्रेग्नेंसी के साथ ही यह काम जारी रखने की कोशिश की लेकिन यह हो न सका।

इन दिनों आप एक जैसे रोल कर रही हैं?क्या आपको टाइपकास्ट होने का डर नहीं है?
मैं नहीं जानती कि आप मुझे पसंद करेंगे या नापसंद करेंगे लेकिन मुझे यह यकीन है कि आप मुझे ‘टशन ए इश्क’ की लीला तनेजा के रूप में एकदम अलग पाएंगे। मैं पंजाबी नहीं हूं लेकिन शूटिंग के पहले ही दिन मेरे डायरेक्टर ने इस भाषा में मेरे कमांड के लिए मेरी तारीफ की। उम्मीद है दर्शकों को मेरी परफॉमेंर्स जरूर पसंद आएगी।

गीता विश्वास के रोल से लेकर लीला तनेजा तक का सफर कैसा रहा?
मेरा सफर वाकई शानदार रहा। मैं इससे ज्यादा और क्या मांग सकती हूं। लीड किरदार निभाते हुए काफी अच्छा वक्त गुजरा और अब मैं मां की महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रही हूं। मैं अपने काम से बिल्कुल खुश एवं संतुष्ट हूं।

आपको ऐसा नही लगता कि दूरदर्शन अब अतीत का पन्ना बन रह गया है ?
ऐसा नही है,इन दिनों हमारे पास बहुत से टेलीविजन चैनल्स हैं जो दिन-रात धारावाहिक और फिल्में दिखाते हैं लेकिन हमें अब भी टेलीविजन का वो सुनहरा दौर याद आता जब दूरदर्शन पर हमने बुनियाद, हम लोग और तमस जैसे शोज देखे और मालगुडी डेज और वागले की दुनिया जैसे दिलचस्प शोज भी हमारे सामने आए।

इस बारे में आपके क्या विचार हैं?
टेलीविजन अब पहले से कहीं ज्यादा विकसित हो गया है और तकनीकी रूप से विकसित भी। यह अब ज्यादा व्यावसायिक हो गया है लेकिन इसकी सादगी और मासूमियत कहीं खो गई है जो 10-15 साल पहले हुए करती थी। उस समय दर्शकों में काफी दिलचस्पी रहती थी और वे अपने सीरियल का बेसब्री से इंतजार करते थे और एक भी एपिसोड मिस नहीं करना चाहते हैं।

                                                                                                                                                                       -प्रेमबाबू शर्मा

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