मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयाग आगमन से ऐन पहले शुक्रवार को कुंभ के कार्यों की धीमी प्रगति पर साधु-संतों की नाराजगी एक बार फिर सामने आ गई। कुछ महीने पहले शाही स्नान के बहिष्कार की धमकी देकर मेला प्रशासन के माथे पर बल डाल चुके अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ आपात बैठक बुलाई।
इस दौरान संत निवास के अधूरे और पिछड़े काम के साथ ही जीएसटी के नाम पर कटौती और कार्यदायी संस्था की कमीशनखोरी का भी मुद्दा उठाया गया। कुंभ में सुविधाओं से जुड़े आठ सूत्रीय प्रस्ताव को लेकर शनिवार को सीएम से मिलने का एलान भी किया गया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि सीएम से मिलकर हकीकत बताई जाएगी। ऐसे तो कुंभ की परियोजनाएं तो पूरी होने से रहीं। समय रहते अफसर नहीं चेते तो परेशानी बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता।
कीडगंज स्थित बड़ा उदासीन अखाड़ा परिसर में शुक्रवार की शाम पांच बजे संतों की हुई आपात बैठक में सीएम से चर्चा के लिए आठ बिंदु तय किएगए। परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा कि कुंभ के आयोजन में महज हो महीने का समय रह गया है। अभी कई अखाड़ों में संत निवास के निर्माण की शुरुआत भर कराई जा सकी है।
कुछ अखाड़ों पर काम अधूरे पड़े हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि कुंभ के तहत अखाड़ों के लिए आवंटित बजट में 12.50 प्रतिशत जीएसटी और 13 प्रतिशत से अधिक कार्यदायी संस्था के कमीशन के रूप में जा रहा है। ऐसे में संत निवास के लिए धनराशि कम पड़ रही है।
सीएम से मिलकर इसकी जानकारी दी जाएगी, ताकि संत निवास के लिए बजट बढ़ाया जा सके और समय रहते काम पूरा हो सकें। अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्ष 2013 के कुंभ में संत और श्रद्धालु हित की सुविधाओं को लेकर भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। दिन में तंबूनगरी की बिजली काट दी जाती रही है। इस बार 24 घंटे बिजली कुंभ को मिलनी चाहिए। इसके अलावा स्वास्थ्य, पेयजल, सफाई के संसाधनों को बढ़ाने का मसला भी सीएम के आगे उठाया जाएगा।
इस बैठक में जूना अखाड़े के महंत प्रेम गिरि महाराज, राम सेवक गिरि महाराज, आशीष गिरि महाराज, सत्य गिरि महाराज, धर्म दास महाराज, जगतार मुनि, व्यास मुनि, महाश्वर दास महाराज समेत तमाम संत उपस्थित थे।
सीएम को सच्चाई बताना जरूरी है। बजट नहीं बढ़ा तो संत निवास का काम पूरा नहीं हो पाएगा। इसलिए कि कुछ रकम जीएसटी के नाम पर और कुछ कार्यदायी संस्था के कमीशन के नाम पर जा रही है। अभी कई अखाड़ों में तो निर्माण के नाम पर रस्मअदायगी भर हो सकी है।