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सपा के गढ़ में बेरुखी का शिकार हुए मुलायम, जनसभा कैंसल

मैनपुरी।  समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव भले ही पार्टी के सबसे बड़े नेता हों, लेकिन अब उनके अपने ही उन्हें चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाना चाहते।  मैनपुरी इलाके के कैंडिडेट्स भी मुलायम को बुलाने को लेकर उदासीन हैं। सपा कैंडिडेट्स को लगता है कि न जाने मुलायम लोगों के सामने क्या कह दें। 

एसपी के लोगों का कहना है कि 13 फरवरी को मैनपुरी में मुलायम की प्रस्तावित जनसभाओं को कैंसल कर दिया गया है। ऐसा प्रत्याशियों के दबाव में किया गया। मुलायम मैनपुरी (शहर), भोगांव और किशनी सीट्स के लिए होने वाली सभाओं में शामिल होने वाले थे। हालांकि, वह अपने भाई शिवपाल यादव के लिए एक रैली को संबोधित करेंगे। शिवपाल इटावा जिले के जसवंत नगर सीट से मैदान में हैं।

मैनपुरी इलाके से एसपी के तीन कैंडिडेट हैं-वर्तमान विधायक राज कुमार यादव (मैनपुरी शहर), बृजेश कठेरिया (किशनी) और आलोक शाक्य (भोगांव)। ये तीनों अखिलेश के वफादार माने जाते हैं। शिवपाल ने इन तीनों का पत्ता काट दिया था, लेकिन जब अखिलेश ने खुलेआम अपने पिता और चाचा शिवपाल यादव से मोर्चा लेते हुए लिस्ट जारी की तो उसमें इन तीनों के नाम थे।

यहां तक कि करहल विधानसभा सीट से अखिलेश ने सोबरन सिंह का पत्ता काट दिया, जिन्हें शिवपाल की लिस्ट में जगह मिली थी। इसके बाद, उन्होंने अपने रिश्तेदार अंशुल यादव को टिकट दे दिया, जो इटावा के जिला पंचायत चेयरमैन भी हैं। हालांकि, बाद में जब अखिलेश ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने वापस से सोबरन को टिकट दे दिया। सोबरन का नाम मुलायम द्वारा प्रस्तावित 38 प्रत्याशियों की सूची में शामिल था।

मुलायम के दफ्तर ने इस बात की पुष्टि की है कि मैनपुरी में होने वाली उनकी बैठकों को रद्द कर दिया गया है। आधिकारिक तौर पर इसका कोई कारण नहीं बताया गया है। हालांकि, मुलायम के एक वफादार ने कहा, ‘कोई क्या कर सकता है, जब कैंडिडेट ही नहीं चाहते कि मुलायम वहां जाएं और उनकी रैलियों को संबोधित करें।’

कुछ एसपी लीडर्स को लगता है कि मुलायम की मैनपुरी में एसपी के चुनाव प्रचार से दूरी पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। प्रत्याशियों और उनके समर्थकों ने मुलायम के न आने की वजह से चैन की सांस ली है। एक प्रत्याशी के समर्थक ने बताया, ‘इनमें से कुछ प्रत्याशियों ने खुलेआम अखिलेश का समर्थन किया था। कुछ ने तो शिवपाल की प्रतीकात्मक शवयात्रा तक निकाली थी। वे इस बात का भरोसा कैसे करें कि नेताजी लोगों के बीच में उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे या उन घटनाओं पर टिप्पणी नहीं करेंगे, जिसकी वजह से उनको पार्टी से किनारे किया गया?’

एक अखिलेश समर्थक ने कहा, ‘अगर नेताजी के आंसू निकल आते हैं और वे इस बारे में चर्चा करते हैं कि अखिलेश और उनके समर्थकों ने उनके साथ कैसा बर्ताव किया तो इसका मैनपुरी के वोटर्स पर पड़ने वाले असर के बारे में जरा सोचिए।’ कुछ मुलायम के वफादार भी हैं, जो चाहते हैं कि वह चुनाव प्रचार न करें।

मुलायम के समर्थन में इस्तीफा देने वाले पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मानिकचंद यादव ने कहा, ‘उन्हें इन कैंडिडेट्स के लिए प्रचार नहीं करना चाहिए जिन्होंने खुलेआम उनका और उनके भाई का अपमान किया। जो लोग यह कहते हैं कि मुलायम की अहमियत नहीं है, वे वोटों की गिनती के वक्त समझेंगे कि उन्हें प्रचार से दूर रखने का क्या असर पड़ता है।’

मैनपुरी शहर से एसपी प्रत्याशी राजकुमार यादव ने बताया कि उन्होंने अखिलेश को एक जनसभा को संबोधित करने के लिए कहा था। हालांकि, उन्होंने मुलायम के कार्यक्रमों को रद्द करने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

मैनपुरी एसपी जिलाध्यक्ष खुमान सिंह वर्मा ने भी कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि मुलायम के कार्यक्रम क्यों स्थगित किए गए?

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