सफर में अब यात्रियों को टॉयलेट की बदबू परेशान नहीं करेगी। स्वच्छ रेल-स्वस्थ भारत अभियान के तहत स्वच्छता की तरफ एक और अहम कदम बढ़ाते हुए रेलवे प्रशासन ने ट्रेन की बोगियों में अब बायोटॉयलेट की जगह ई टॉयलेट लगाने की योजना तैयार की है। ई टॉयलेट बायोटॉयलेट का ही संशोधित वर्जन है, जिसमें दरवाजा खुलते ही अपने आप फ्लश चल जाएगा।
प्रत्येक पांच बार के उपयोग पर एक अतिरिक्त फ्लश भी चलेगा, जिससे पूरा फर्श साफ हो जाएगा। ई टायलेट में आटोमेटिक फ्लश सिस्टम के अलावा फर्श को भी सुविधा जनक बनाया गया है। वेंचुरी डिजाइन के तहत अंदर की हवा 24 घंटे बाहर निकलती रहेगी। एयर प्रेशर सिस्टम पानी के साथ हवा को भी टॉयलेट से बाहर करता रहेगा। इससे अंदर की बदबू अनवरत बाहर निकलती रहेगी। लगातार उपयोग के बाद भी फर्श पर गंदगी नहीं फैलेगी। आसपास का वातावरण भी स्वच्छ रहेगा।
फिलहाल, ई टॉयलेट का उपयोग सेंट्रल रेलवे की एक ट्रेन में शुरू हो गया है। 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर एलटीटी- कोयंबटूर एक्सप्रेस की एसी बोगी में प्रयोग के तौर पर ई टॉयलेट को लगाया गया। आम यात्रियों से सुझाव मांगे जा रहे हैं ताकि कोई और खामी हो तो उसे दूर किया जा सके। दरअसल, बोगियों में लगने वाले बायोटॉयलेट की मिल रही शिकायतों को दूर करने के लिए रेलवे बोर्ड यह नया प्रयोग कर रहा है। बायोटॉयलेट पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से तो उपयोगी है, लेकिन इससे उठने वाली बदबू और फर्श पर फैली गंदगी यात्रियों को परेशान करती हैं। बायोटॉयलेट की बदबू के चलते गेट के पास वाले बर्थ पर यात्रियों का सो पाना मुश्किल हो जाता है। एसी के दरवाजे तो लगभग बंद रहते हैं, लेकिन स्लीपर क्लास के यात्रियों को सर्वाधिक परेशानी उठानी पड़ती है।
यात्रियों से ले रहे हैं फीडबैक
पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव ने कहा कि फिलहाल सेंट्रल रेलवे में ई टॉयलेट का प्रयोग शुरू किया गया है। यात्रियों से फीडबैक लिए जा रहे हैं। अन्य जोनल रेलवे में भी इसका उपयोग किया जाएगा।