चार साल पहले देश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजधानी दिल्ली से शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान दिल्ली में ही फेल होता नजर आ रहा है. दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी की अपनी मांगों को लेकर हड़ताल 21 दिन से जारी है.
हालात यह है कि राजधानी हर गली और चौराहा कूड़े में तब्दील हो गया है. लोगों का गंदगी से बुरा हाल है और इस कूड़े में तब्दील होते शहर में समस्या पर सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.
घर के बाहर चारों तरफ हो रही गंदगी से परेशान होकर अब लोगों ने सरकार और प्रशासन को नींद से जगाने के लिए सेल्फी विद गार्बेज कैंपेन की शुरुआत की है. यह कैंपेन सोशल नेटवर्किंग साइट पर खूब वाहवाही लूट रहा है.
इस कैंपेन को चलाने वाले आरडब्ल्यूए फेडरेशन के प्रेसिडेंट बीएस वोहरा का कहना है कि कूड़े के कारण पूरी दिल्ली नर्क में तब्दील होती जा रही है, न तो दिल्ली सरकार और न ही निगम में सत्ताधारी बीजेपी इस पर सुनवाई करने को राजी है.
पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर में रहने वाले जुगल वाधवा बताते हैं कि 4 साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत का सपना दिखाया था तबसे उन्होंने कूड़े को कूड़ेदान में और कूड़ा उठाने वाले कर्मचारियों को देने का फैसला किया था.
आज जब वे हर रोज घर से बाहर निकलते हैं तो उनकी गली-मोहल्ले और पूरी कॉलोनी में कूड़ा-ही-कूड़ा नजर आता है. इस कूड़े की गंदगी के कारण वह अपने बच्चों को भी घर से बाहर निकलने नहीं देते.
उनका मानना है की स्वच्छ भारत अभियान का सपना तभी साकार हो सकता है, जब सरकार इस पूरे अभियान के साथ-साथ एक कारगर नीति भी बनाए ताकि जब कर्मचारी इस तरीके की हड़ताल करें तो शहर कूड़े में तब्दील न हो.
बता दें कि दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी पिछले 21 दिन से अपनी मांगों को लेकर के हड़ताल पर हैं. हड़ताल का असर शहर में पूरी तरह से नजर आ रहा है. लोगों का जीना मुहाल हो चुका है.
जहां लोग गंदगी से परेशान हैं, लेकिन सफाई कर्मचारियों का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक दिल्ली का कचरा साफ नहीं होगा.
ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार बेशक गंदगी को दूर करने के लिए स्वच्छता अभियान चला रही हो, लेकिन जब तक इस तरीके की हड़तालों को रोकने के लिए कोई योजनाएं या पॉलिसी नहीं बन जाती, तब तक स्वच्छ भारत अभियान का सपना कैसे पूरा होगा?
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