बिंदु अमीनी और कनका दुर्गा.. वो दो महिलाएं जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर इतिहास रच दिया है। करीब 40 की उम्र की ये महिलाएं मंदिर पर हो रहे प्रदर्शनों के बावजूद दर्शन करने में सफल रही हैं। एनडीवी को दिए इंटरव्यू में इन महिलाओं ने कहा है कि इस कदम से उनके जीवन को खतरा हो सकता था, लेकिन यह उनका संवैधानिक अधिकार है।
कनका दुर्गा ने कहा, “मुझे पता था कि मेरा जीवन खतरे में हो सकता है लेकिन मैं फिर भी मंदिर में जाना चाहती थी। हमें खुद पर गर्व है कि जो महिलाएं अब मंदिर जाना चाहती हैं उनके लिए हमने रास्ता आसान किया है।” बिंदु ने कहा, हम मंदिर में गए क्योंकि वह हमारा संवैधानिक अधिकार था। यह भक्ति के बारे में है लेकिन यह लैंगिक समानता के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार भी उनके मंदिर जाने के विरोध में था।
अब तक 10 महिलाओं ने किए दर्शन
केरल पुलिस की विशेष ब्रांच ने कहा है कि अभी तक मंदिर में करीब 10 महिलाएं दर्शन कर चुकी हैं। जिसमें से तीन महिलाएं मूल रूप से तमिलनाडु की हैं लेकिन मलेशिया से हैं। पुलिस ने ये दावा वीडियो फुटेज की जांच के आधार पर किया है और कहा है कि उन्होंने महिलाओं की जानकारी ले ली है। जरूरत पड़ने पर उन्हें कोर्ट के सामने पेश भी किया जा सकता है। वहीं पुलिस का ये भी कहना है कि कनका और बिंदु के मंदिर में प्रवेश से एक दिन पहले तीन मलेशियन महिलाओं ने मंदिर में दर्शन किए थे। इन महिलाओं ने कहा है कि ये 50 साल से कम की पहली ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने मंदिर में प्रवेश किया है।
प्राचीन समय से सबरीमाला मंदिर में महलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिंबध को बिंदु और कनका ने बुधवार को चुनौती दी थी। इनके मंदिर में प्रवेश के बाद भारी मात्रा में हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किए।
सुप्रीम कोर्ट ने हटाया था प्रतिबंध
देश के सर्वोच्च न्यायलय ने 28 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। इस फैसले का लाखों की संख्या में लोगों ने विरोध किया। वहीं मंदिर प्रशासन ने भी कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया। कई महिलाओं ने भी इस फैसले के बाद मंदिर में प्रवेश की कोशिश की लेकिन अयप्पा श्रद्धालुओं ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया था।
बिंदु ने कहा, “लोगों का बहुत छोटा समूह की केरल में विरोध कर रहा है और वह हिंसक हैं। बड़ी संख्या में लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं और हमें सम्मान दे रहे हैं। वह पार्टियां ही हैं जो राजनीति करने की कोशिश कर रही हैं।”
बिंदु ने कहा कि सरकार ने उनकी यात्रा को आसान बनाने के लिए उनसे सीधे कोई संपर्क नहीं किया। लेकिन बेसकैंप में पहुंचने के बाद समर्थन प्राप्त हुआ। इन महिलाओं ने बुधवार की रात 3 बजे के करीब दर्शन किए थे। पुलिस सुरक्षा में महिलाओं ने दर्शन किया और साइड गेट से अंदर गईं, ताकि किसी अन्य श्रद्धालु की उनपर नजर न पड़े।
महिलाओं को जान के खतरे के चलते राज्य पुलिस के संरक्षण में रखा गया है। इस मंदिर में सदियों से रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी। अयप्पा भक्तों का मानना है कि इस वर्ग की महिलाएं अपवित्र होती हैं इसलिए मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकतीं।
बिंदु का कहना है कि उनके मंदिर में दर्शन करने के बाद मुख्य पुजारी ने मंदिर को बंद कर दिया। पुजारी ने मंदिर को शुद्ध करने के लिए अनुष्ठान भी किया। यह एक ऐसा कदम है जो महिलाओं को अपमानित करता है।