राजाजी नेशनल पार्क से लगे हरिद्वार के बीएचईएल क्षेत्र से पकड़े हाथी के उपचार और उसे ट्रेंड करने को क्रॉल में रखने का मामला तूल पकड़ने लगा है। इसे लेकर पीपुल फॉर एनिमल उत्तराखंड (पीएफए) की सदस्य सचिव गौरी मौलेखी और पार्क प्रशासन आमने-सामने हैं। पार्क के निदेशक सनातन ने साफ किया कि हाथी का व्यवहार बदल चुका है और ऐसे में उसे फिर से जंगल में छोड़ना मानव के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह बात भारतीय वन्यजीव संस्थान की अध्ययन रिपोर्ट से भी साफ हुई है। इस सबके मद्देनजर ही हाथी को क्रॉल में ट्रेंड करने का निर्णय लिया गया। बावजूद इसके आदेश होते हैं तो हाथी को जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
बिगड़ैल हाथी पर पीएफए और पार्क प्रशासन आमने-सामने, जानिए वजह
हरिद्वार के बीएचईएल क्षेत्र में पिछले साल एक टस्कर (नर हाथी) ने दो लोगों को मार डाला था, जबकि एक को घायल कर दिया था। लगातार सक्रियता के बाद इसे मानव के लिए खतरनाक घोषित किया गया। बाद में इसे रेडियो कॉलर पहनाकर मिट्ठावाली क्षेत्र में छोड़ा गया और उस पर निगरानी रखी गई। वहां कुछ समय बिताने के बाद यह टस्कर फिर से हरिद्वार के बीएचईएल क्षेत्र में सक्रिय हो गया।
वहां इसने एक और व्यक्ति को मार डाला। गत वर्ष 23 नवंबर को खासी मशक्कत के बाद को इसे खासी मशक्कत के बाद पकड़ा गया। इसका मिट्ठावाली क्षेत्र में उपचार चल रहा है। इसके व्यवहार में आए बदलाव को देखते हुए पार्क प्रशासन ने इसे ट्रेंड करने का निर्णय लिया और उसके लिए मिट्ठावाली में केरल की तर्ज पर क्रॉल (हाथियों को ट्रेंड करने के लिए विशेष बाड़ा) तैयार किया गया। तीन जनवरी को इसे क्रॉल में छोड़ा गया। असोम से बुलाए गए दो महावत उसे ट्रेंड कर रहे हैं।
बकवास परंपराएं यहां थोपना गलत
गौरी बीएचईएल क्षेत्र से पकड़े गए हाथी के मामले को लेकर पीएफए उत्तराखंड की सदस्य सचिव गौरी मौलेखी मुखर हैं। उनका कहना है कि हाथी समेत वन्यजीवों का संरक्षण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसमें बकवास परंपराएं यहां थोपना गलत है। उन्होंने राजाजी पार्क में हाथी के उपचार के नाम पर उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है। यही नहीं, वन्यजीव चिकित्सकों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
उन्होंने इस सबको को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेजा है, जिसमें पूरे प्रकरण की जांच कराने पर जोर दिया गया है। पीएफए की सदस्य सचिव मौलेखी ने कहा कि राजाजी पार्क में उपचार के नाम पर हाथी का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि केरल में हाथियों के हमले में बहुत लोग मारे जाते हैं। ऐसे में वहां की क्रॉल जैसी परंपरा को यहां अपनाया जाना गलत है।
उन्होंने हाथी के नामकरण और उसे क्रॉल में छोड़ने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ट्रेंड करने के नाम पर हाथी को करतबबाजी कराई जा रही है। यह गलत है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी इसे लेकर विरोध जता चुकी हैं।