लखनऊ। समाजवादी पार्टी प्रभारी व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि चन्द्रभानु गुप्त देशभक्त और समाजसेवी थे। वे समाजवाद के प्रबल पैरोकार और साम्प्रदायिकता के धुर विरोधी थे। उन्होंने चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां व पंड़ित राम प्रसाद बिस्मिल का मुकदमा लड़ कर ब्रिटानियां हुकूमत को सीधी चुनौती दी थी। यह बात गुरूवार को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समाजवादी नेता व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रभानु गुप्त की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि आजादी के दौरान उनका अधिकांश समय जेल में गुजरा। उन्होंने 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के गठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आचार्य नरेन्द्र देव एवं डा लोहिया ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई का महासचिव बनाया था। समाजवादी सोच का होने के नाते ही उनका झुकाव नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की ओर था। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण सामाजिक संस्थानों का गठन किया। समाजवादी विचारधारा के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने “संघर्ष” शीर्षक से साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया। वे लोहिया की कई अवधारणाओं से सहमत थे। श्री यादव ने कहा कि हमें चन्द्रभानु गुप्त जैसे महान पूर्वजों की महान विरासत को संभाल कर रखना है। नई पीढी चन्द्रभानु गुप्त को पढे़ और प्रेरणा लेकर देश तथा समाज की सेवा करे। शिवपाल सिंह ने रघुनन्दन सिंह “काका” द्वारा लिखित और यश भारती मधुकर त्रिवेदी द्वारा संपादित पुस्तक “महा-कर्मयोगी चन्द्रभानु गुप्त” का भी विमोचन किया। इस अवसर पर चन्द्रभानु गुप्त जनसेवा संस्थान द्वारा सांप्रदायिकता से सतत संघर्ष करने और लोकतंात्रिक समाजवाद के सशक्तिकरण के लिए शिवपाल सिंह यादव को चन्द्रभानु गुप्त स्मृति सम्मान-16 से विभूषित किया गया। वरिष्ठ सपा नेता भगवती सिंह, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक बाजपेयी, महिला आयोग की अध्यक्ष जरीना उस्मानी, उच्च शिक्षा मंत्री शिव प्रसाद शुक्ला, समाजवादी चिन्तक दीपक मिश्र, राज्य मंत्री अभिषेक मिश्र समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे।