सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश के लिए संघर्ष जारी है. विवादों के बीच सबरीमाला मंदिर मामले पर सीपीआईएम के सदस्य एस रामचंग्रन पिल्लई ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आरएसएस,तालिबान और खालिस्तान आतंकवादियों की तरह व्यवहार कर रही हैं. 
उन्होंने कहा कि आरएसएस सबरीमाला मंदिर मामले में परेशानी करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें सब कुछ शांतिपूर्ण होने की इजाजत देनी चाहिए, वे ऐसा नहीं कर रहे हैं.
क्या है सबरीमाला विवाद
उल्लेखनीय है कि केरल के प्रख्यात सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यपन की पूजा होती है. इस मंदिर में केवल बुजुर्ग महिलाओं और छोटी बच्चियों को ही जाने की इज्जात थी. इसी साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी. मान्यता है कि भगवान अय्यपन के दर्शन केवल वही महिला कर सकती है जिसको मासिका धर्म न आते हों. कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर के कपाट 17 अक्टूबर को मासिक पूजा के लिए खुले. इस दौरान कुछ महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने उन्हें रोका. इस दौरान काफी हिंसा भी हुई.
धर्म के मुद्दे पर धर्माचार्यों से हो बात-भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला के निर्णय का उद्देश्य स्त्री-पुरुष समानता का था, लेकिन क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि इतने वर्षों से जो परंपरा चली रही है वह टूट गई, जिन्होंने याचिका डाली वह कभी मंदिर नहीं गए. मोहन भागवत ने कहा, जो महिलाएं मंदिर में प्रवेश के लिए आंदोलन कर रही हैं वो आस्था को मानती हैं. धर्म के मुद्दे पर धर्माचार्यों से बात होनी चाहिेए, वो बदलाव की बात को समझते हैं. ये परंपरा है, उसके पीछे कई कारण होते हैं. कोर्ट के फैसले से केरल में असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती हैं लेकिन उनकी बात सुनी ही नहीं गई.
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