सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को यह बताने का निर्देश दिया कि चार पहिया वाहनों और निजी कारों के लिए पेट्रोल और डीजल की क्या एक समान कीमतें हो सकती है? पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कहा था कि डीजल वाहनों से होने वाला प्रदूषण चिंता का कारण है जिसके बाद न्यायालय ने यह निर्देश दिया है.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की एक पीठ ने सुझाव दिया कि सरकार मालवाहक वाहनों के अलावा चार पहिया वाहनों के लिए डीजल और पेट्रोल की एक निश्चित कीमत पर विचार कर सकती है.
पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘आप निर्देश लें कि क्या पेट्रोल स्टेशनों पर चार पहिया वाहनों और निजी कारों के लिए डीजल और पेट्रोल की एक समान कीमतें हो सकती है.’’ मामले में न्यायमित्र के रूप में शीर्ष अदालत की मदद करने वाली वकील अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि असल चिंता डीजल वाहनों से होने वाला प्रदूषण है.
वाहन निर्माताओं की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि बीएस-छह ईंधन अप्रैल 2019 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में उपलब्ध होने की संभावना है और इससे डीजल वाहनों के प्रदूषण की समस्या का समाधान हो जायेगा.
उन्होंने बताया कि अगस्त 2016 में डीजल वाहनों की बिक्री लगभग 47.5 प्रतिशत थी जो अब गिरकर 23 प्रतिशत पर आ गई है. इसके बाद पीठ ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के बारे में पूछा. पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 23 जुलाई तय की. अदालत उस याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे को उठाया गया है.
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