कुशीनगर । अगर समय रहते चेता नहीं गया तो बामियान की तरह सेंट्रल एशिया में छिपा भारत का आधा इतिहास नष्ट हो जाएगा।उज्बेकिस्तान से लेकर कजाकिस्तान तक बौद्ध बिहार स्थापित थे। सिल्क रूट पहले बौद्ध रूट था। इतिहास को लिखने के लिए इस दृष्टि को भी अपनाना होगा।
उक्त बातें राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण भारत सरकार की अध्यक्ष प्रो. सुष्मिता पांडेय ने रविवार को कुशीनगर में भारतीय इतिहास के श्रोत व इतिहास लेखन विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। प्रो. पांडेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति का विस्तार सेंट्रल एशिया में फैला है। उन क्षेत्रों में भारत को जो इतिहास छुपा है, उसमें मुूर्तिया, भित्ति चित्र, बौद्ध बिहार, अभिलेख, पांडुलिपियां भी है।
इन क्षेत्रों में दानपात्र मिले है, जिन पर कमल अंकित है। कमल भारतीय संस्कृति का बड़ा प्रतीक है। इन प्रमाणिक तथ्यों से यह बात सही साबित होती है कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता की जड़ें सेंट्रल एशिया में थी। प्रो. पांडेय ने कहा कि जहां तक लेखन का सवाल है तो सही व तथ्यपरक इतिहास लिखने के लिए वैदिक दृष्टि रखनी होगी। वैदिक दृष्टि के लिए उपनिषद का अध्ययन करना होगा। प्रो. पांडेय ने कहा कि दृष्टि बदलना मुश्किल कार्य होता है। उपनिषद के अध्ययन से विवेक व संस्कार मिलेगा, जिससे लिखने की दृष्टि मिलेगी।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal