लखनऊ। प्रदेशभर में रविवार को नागपंचमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में ज्यादा धूम है और नागों की पूजा हो रही है। वहीं शाम को गुड़िया पीटी जायेगी।मान्यता है कि गुड़िया पीटने के पीछे अच्छी बारिश होने की कामना की जाती है। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं, इसलिए पंचमी नागों की तिथि है। पंचमी को नाग पूजा करने वाले व्यक्ति को उस दिन भूमि नहीं खोदनी चाहिए। इस व्रत में चतुर्थी के दिन लोग एक बार भोजन करते हैं। इस दिन चांदी, सोने, लकड़ी या मिट्टी की कलम से हल्दी और चंदन की स्याही से पांच फन वाले नाग बनाये जाते हैं। लोग खीर, कमल, पंचामृत, धूप, नैवेद्य आदि से नागों की विधिवत पूजा करते हैं। पूजा के बाद ब्राह्मणों को लड्डू या खीर का भोजन कराते हैं।इस दिन घरों को गोबर में गेरू मिलाकर लीपा जाता था, फिर नाग देवता की पूर्ण विधि-विधान से पूजा की जाती थी। पूजा करने के लिए एक रस्सी में सात गांठें लगाकर सांप बनाकर लकड़ी के पट्टे के ऊपर सांप का रूप मानकर बैठाया जाता है और पूजा की जाती है। उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर इसे लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करते हैं। इसके बाद भीगे हुए बाजरे, घी और गुड़ से इनकी पूजा कर दक्षिणा चढ़ाएं तथा घी के दीपक से आरती उतारने की परंपरा है।
		
		
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper,  E-Paper & News Portal