सुभा राजपूत आजकल सातवें आसमान पर हैं। हाल ही में उन्होंने स्टार प्लस के शो ‘इश्कबाज’ से अपनी टेलीविजन पारी की शुरुआत तीनों ओबेरॉय भाइयों की इकलौती बहन प्रियंका ओबेरॉय के किरदार के साथ की है। साथ ही उन्होंने अपनी बॉलीवुड पारी की शुरुआत परसेप्ट पिक्चर की ‘सनशाइन टूर एण्ड ट्रवेल्स प्राइवेट लिमिटेड’ के साथ की है जो 2 सितंबर को रिलीज हो रही है। फिल्म में भूमिका पाने आदि को लेकर उनसे एक संक्षिप्त बातचीत।
फिल्म आपको कैसे मिली?
मैं एक और शो के ऑडिशन के लिए गई थी जहां की पोशाक जिम के कपड़े थे। ऑडिशन देने के बाद मैं वहां से जाने वाली थी और परसेप्ट पिक्चर्स वाले अपनी अगली फिल्म सनशाइन टूर एण्ड ट्रवेल प्राइवेट लिमिटेड के लिए ऑडिशन ले रहे थे। मुझे कास्टिंग डायरेक्टर ने देखा और लवलीन के किरदार के ऑडिशन के लिए बुलाया। मैं उसके हिसाब से कपड़े नहीं ले गई थी तो मुझे दूसरी मॉडल के कपड़े और हील्स पहन कर अपना ऑडिशन देना पड़ा। मुझे उस भूमिका के लिए शॉर्टलिस्ट कर लिया गया लेकिन मुझे उस लड़की के लिए बुरा महसूस हो रहा था जिसने मुझे कपड़े दिए थे क्योंकि वह भी उसी किरदार के लिए आई थी। मुझे लगता है टर्निंग प्वाइंट वो था जब शैलेन्द्र सिंह ने खुद मेरा ऑडिशन लिया और मुझे अपनी मर्जी का कोई भी बॉलीवुड संवाद बोलने को कहा। मुझे एसआरके की मोहब्बतें बहुत पसंद है और मैंने, ‘एक लड़की थी दीवानी सी’ वाला संवाद बोला और वह उन्हें बेहद पसंद आया जिससे मुझे यह भूमिका मिली।
अपने किरदार लवलीन के बारे में कुछ बताइए?
लवलीन दिल्ली की कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा है। उसके लिए ग्लैमर और ऊंचे ब्राण्ड ही सब कुछ हैं। वह अंतर्मुखी है लेकिन उसके भीतर एक उन्मुक्त चेहरा भी छिपा हुआ है। वह दुनिया देखना चाहती है लेकिन वह अपनी मां के सामने यह नहीं जाहिर करती जिसकी वह बेहद इज्जत करती है। यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो जिंदगी में नई चीजें करना चाहती है।
इस भूमिका के लिए किस तरह की तैयारियां की?
यह किरदार ‘कभी खुशी कभी गम’ में करीना कपूर के किरदार की तरह है और वह मेरी पसंदीदा फिल्म है। मैंने किरदार को समझने के लिए फिर से इस फिल्म को 20 बार देखा।
ऐसे कलाकारों और शैलेन्द्र सिंह के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
शैलेन्द्र सर ज्ञान का भण्डार हैं। वह स्मार्ट, मजाकिया और बेहद समझदार हैं। उन्होंने हमेशा किरदार को समझने में मेरी मदद की। अब मैं पहले से काफी अधिक आत्मविश्वासी हो गई हूं। वह बेहद जिंदादिल हैं। आप अगर मुझसे पूछें कि मैं 10 साल बाद मैं खुद को कहां देखती हूं तो मैं कहूंगी कि मैं शैलेन्द्र सर की तरह होना चाहती हूं। मैं उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूं।
फिल्म की शूटिंग भारत के बहुत सारी लोकशन्स पर हुई है। क्या आप असल जिंदगी में भी घूमने की शौकीन हैं?
मैं पूरी दुनिया घूमना चाहती हूं। मैं घूमने की और खाने की बहुत दीवानी हूं।
फिल्म का कोई यादगार पल ?
एक दृश्य था जिसके लिए मुझे नशे में होना था। सनी कौशल ने मुझे जरूरत से अधिक पिला दिया और मैं सचमुच नशे में आ गई। मैं अपनी ऑनस्क्रीन मां के साथ जॉयंट व्हील गई और वहां जाकर बेहोश हो गई। मेरी आंख खुली तो मैं सेण्टर ऑफ सनबर्न गोआ के इमरजेंसी रूम में थी और मेरे मोबाइल पर कास्ट और क््रयू के लोगों के सैकड़ों मिस्ड कॉल पड़े थे। तब मुझे महसूस हुआ कि मैं करीब 2 घंटे से अपनी जगह से दूर हूं और हर कोई मुझे लेकर बेहद परेशान है।
फिल्म में आपको लेकर सिर्फ दो लड़कियां हैं। क्या आपका खास खयाल रखा जाता था?
बिल्कुल नहीं। वहां लड़के बहुत थे और यह एक तरह से लड़कों के गैंग की तरह था। हम बहुत सारी मस्ती, मजाक करते थे और रियलिस्टिक तरीके से शूट करते थे। कई बार तो हमें पता ही नहीं होता था कि कैमरा ऑन है और रोल हो रहा है।
फिल्म में बहुत सारे युवा कलाकार हैं। दूसरे कलाकारों के साथ किस तरह के संबंध थे?
मैं अपनी ऑनस्क्रीन मां दिव्यज्योति शर्मा के काफी करीब थी जो टीवी और फिल्मों की दुनिया का जाना माना नाम हैं। हमारे बीच बहुत अच्छी बनती है और मैं अभी भी उन्हें मॉम कहती हूं। हाल ही में मैंने अपना जन्मदिन भी उनके यहां जाकर मनाया।
क्या सुभा असल जिंदगी में लवलीन की तरह है?
बिल्कुल नहीं। मुझे स्ट्रीट शॉपिंग करना पसंद है। मैं ब्राण्ड्स को लेकर सजग रहने वाली इंसान नहीं हूं। मैं सहज और अरामदायक पहनना पसंद करती हूं। मैं असल जिंदगी में लवलीन के उलट हूं।
ऐसे समय में जहां पटकथा ही मुख्य है, क्या आपको लगता है यह फिल्म अपनी जगह बना पाएगी?
फिल्म की संगीत इसकी जान है। ‘फिर से उड़ चला’ मेरा पसंदीदा गीत है। यह एक रुहानी गीत है। दूसरा मस्त गीत जॉनी कैश का ‘यू आर माई सनशाइन’ है। मुझे पूरा विश्वास है फिल्म के गीत चार्टबस्टर्स होंगे। फिल्म का अच्छा प्रदर्शन दर्शकों के हाथ में है। मेरा मानना है कि हम कलाकारों को अपना काम अच्छे से कर बहुत उम्मीद नहीं लगानी चाहिए क्योंकि अगर दर्शकों को अगर फिल्म से जुड़ाव महसूस हुआ तो यह अच्छा प्रदर्शन करती है। यह हमारी बेहद ईमानदार कोशिश है और यह ऐसी फिल्म है जिससे पहली बार 170 नए कलाकार अपना डेब्यू कर रहे हैं। कलाकार ही नहीं तकनीशियन्स भी। शैलेन्द्र सर ने 170 लोगों को मौका दिया है जो काबिले तारीफ है।
फिल्मों के लिए आपका ड्रीम रोल क्या है?
चार्लीज एंजेल्स जैसा कुछ करना चाहती हूं जहां लड़कियों को लड़कों को पछाड़ने का मौका मिले। मेरा मानना है कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं। मैं एक ऐसी भी फिल्म करना चाहती हूं जो महिला को सच्चे अर्थों में दिखाए।
कोई रोल मॉडल जिससे प्रेरणा लेती हों?
नहीं, मैं किसी खास में विश्वास नहीं करती। मैं हर किसी से सीखना चाहती हूं।
अब आगे के प्रोजेक्ट्स में किस तरह की भूमिकाओं की उम्मीद रखती हैं?
जैसा मैंने कहा कोई ऐसा किरदार जो असली महिला को प्रदर्शित करे। मैं रॉमकॉम फिल्मों को लेकर भी सहज हूं लेकिन मुझे खुशी होगी अगर मुझे महिला किरदार आधारित फिल्म मिले।