हाईकोर्ट ने कालका जी मंदिर में दो बहनों पर पूजा करने से रोकने के संबंध में दायर याचिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि महिलाएं मंदिर में पूजा व सेवा क्यों नहीं कर सकतीं। समय बदल गया है, अब महिलाओं को भारतीय मंदिरों में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है।
न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए निर्णय का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पूजा स्थल में प्रवेश करने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। अदालत ने याची पुजारी के वकील से पूछा हमें ऐसा क्यों करना चाहिए।
दोनों बहनों को प्रदान पूजा सेवा की इजाजत पर रोक लगाई जाए
दरअसल, याची ने तर्क रखा था कि निचली अदालत ने उनके मुवक्किल की दो बहनों को कालकाजी मंदिर में पूजा व सेवा और एकत्रित प्रसाद में हिस्सा प्रदान करने की इजाजत प्रदान कर दी है। ऐसे में इस याचिका पर तुरंत सुनवाई की जाए और उन दोनों बहनों को प्रदान पूजा सेवा की इजाजत पर रोक लगाई जाए। अदालत ने उक्त याचिका पर यह टिप्पणी की है।
याची पुजारी के अधिवक्ता ने कहा कि शादी के बाद से बेटियां अलग-अलग परिवार और गोत्र की हो गई है। ऐसे में उन्हें पूजा का कोई अधिकार नहीं है। दोनों बहनों ने निचली अदालत के आदेश के बाद मंदिर में पूजा व सेवा आज से ही शुरू कर दी है।
उनके मुवक्किल की सेवा 7 मार्च को खत्म हो रही है। निचली अदालत ने 4 फरवरी को दिए फैसले में दोनों बहनों को पूजा की इजाजत प्रदान की है। याची के जोर देेने पर अदालत ने याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति जेआर मिड्डा के समक्ष तय कर दी। न्यायमूर्ति ने कहा वे दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई निर्णय देंगे। अदालत ने मामले की सुनवाई बुधवार को तय की है।
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