अयोध्या। आतंकवाद, अलगाववाद, बांग्लादेशी घुसपैठ, धर्मान्तरण और अप्रय्श्यता जैसी सभी समस्याओं का एकमेव समाधान है हिन्दू समाज की एकता। इसकी पूर्ति के लिए ही विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना की गयी थी। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अम्बरीश सिंह ने कारसेवकपुरम् में आयोजित विहिप स्थापना दिवस के अवसर पर कही।
श्री सिंह कारसेवकपुरम् में विश्व हिन्दू परिशद तथा अनुशांगिक संगठन एकल अभियान के संस्कार शिक्षा तथा राम साधक योजना द्वारा आयोजित विहिप स्थापना के 52 वर्श पूर्ण होने पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रकट कर रहे थे। उन्होंने कहा जाति-पंथ-सम्प्रदाय-भाशा-छुआ-छूत-ऊँच-नीच की समाप्ति ही विहिप का एकमेव लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि मानबिन्दुओं की पुनर्प्रतिष्ठा, धर्मग्रन्थों का सम्मान, गो, गंगा, गायत्री और संत-संस्कृति और परम्पराओं की पुनर्प्रतिष्ठा हिन्दू समाज की एकता से ही सम्भव है।
उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता राजनीति सत्ता प्राप्ति के लिए हुई आज भी धार्मिक, सांस्कृतिक आजादी प्राप्त करने के लिए हिन्दू समाज संघर्ष कर रहा है। गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, दुनिया में हिन्दू ही है जो वसुदैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः की परिकल्पना से काम करता है। हिन्दू नही तो दुनिया में कुटुम्ब और सबके सुख की बात करने का विचार ही समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जब तीज-त्यौहार, मठ-मंदिर, मेलों, परिक्रमा यात्राओं में उपस्थित होने वाला समूह हिन्दू है यदि ऐसी भावना गांव-मुहल्लें में विकसित हो और हिन्दू है इस नाते बैठ कर सत्संग करें तो इस समाज की आधी समस्यायें स्वतः समाप्त हो जायेंगी। विहिप इसी को साकार करने का प्रत्यन्न कर रही है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महामण्डलेश्वर प्रेम शंकर दास ने कहा कि घर की जननी संस्कार की जननी बन सकती है और लक्ष्य प्राप्ति की साधन भी। उन्होंने कहा ईश्वर की जन्म मात्र राक्षसों के वध के उद्देष्य से नहीं हुआ बल्कि धर्म संस्कृति का रक्षण कर समाज को भयमुक्त कराने के लिए हुआ। कार्यक्रम का संचालन उमाषंकर मिश्र ने किया।
इस अवसर पर विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारी पुरुषोत्तम नारायण सिंह, 84कोसी परिक्रमा प्रमुख सुरेन्द्र सिंह, कारसेवकपुरम् प्रभारी शिवदास सिंह, कार्यशाला प्रभारी अन्नूभाई सोमपुरा, आचार्य दुर्गा प्रसाद, नारदभट्टराई, सतीष अग्रवाल, डा.कुसुमलता अग्रवाल, निर्मल कुमार, कमल, रामशंकर, बाबा हजारी लाल, बालचन्द्र वर्मा, राजा वर्मा, चन्दन, राजकुमार, गया प्रसाद, के.के.सिंह, घनश्याम सहित सैकडों की संख्या वेद विद्यालय, सत्संग साधक तथा राम कथा के प्रशिक्षु उपस्थित रहे।