अमेरिका में हाल ही में प्रकाशित हुई एक साइकोलॉजिस्ट रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि आजकल के बच्चों में 1960 के दशक में पैदा हुए बच्चों की तुलना में ज्यादा विल पावर होती है। इस कारण किसी भी काम में उनके जीतने की संभावना भी ज्यादा होती है। डेलीमेल ने इस रिसर्च रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पिछले कई दशक के दौरान बच्चों के आई क्यू लेवल में लगातार बढ़ोतरी हुई है। उनके आस-पास मौजूद टेक्नोलॉजीस में जबरदस्त सुधार के कारण दुनिया को देखने का बच्चों का नजरिया काफी बदला है। साथ ही किसी भी नई स्किल को सीखने और विकसित करने उनकी क्षमता भी पहले से फास्ट हो गई है।
न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की मिनोस्टा यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने 60 साल पहले पहली बार किए गए ओरिजिनल मार्शमैलो टेस्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकाले हैं। यह टेस्ट हर दशक के बाद किए गए जैसे 1980, सन 2000 फिर 2010। इस टेस्ट में एक कमरे में बच्चों के सामने उनकी मीठी चीजें (मार्शमैलो) रखी गईं और सभी लोग कमरे से बाहर चले गए। उनसे कहा गया कि अगर उन्होंने 15 मिनट तक मिठाई के पहले टुकड़े को खाने से खुद को रोक लिया, तो उन्हें मीठे के एक के बदले दो टुकड़े खाने को मिलेंगे। बच्चे मिठाई के उस पहले टुकड़े को खाने से खुद को कितनी देर तक रोक पाते हैं। यही फैक्ट बताता है कि उनमें कि कितनी विल पावर और सेल्फ कंट्रोल है। बता दें कि मार्शमैलो टेस्ट का परिकल्पना पहली बार स्टैनफोर्ड के मनोवैज्ञानिक Walter Mischel ने पहली बार 1960 में ही की थी। तब से आजतक यह टेस्ट बच्चों पर किया जा रहा है।