नई दिल्ली : एशियाई खेलों 2018 में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. यहाँ भारत ने 15 गोल्ड, 24 सिल्वर और 30 ब्रॉन्ड मेडल हासिल किए. लेकिन इसी बीच इन मैडल जीतने वालों मे से एक खिलाडी ऐसा भी है. जो मैडल जीतने के बाद फिर से लाचारी का शिकार बनता नज़र आ रहा है.
शायद इसे देश की विपदा ही कहेंगे कि जहां एक तरफ भारत में क्रिकेट को इतना मान सम्मान और भर – भर के पैसा दिया जाता है. वहीं अन्य खेलों को इस तरह से नज़र अंदाज़ किया जाता है कि अगर उन पर क्रिकेट कि छाया मात्र भी पड़ जाय तो शायद उन्हें खेलने वाले खिलाडियों की आजीवन की दरिद्रता या मज़बूरी ख़त्म हो जाए.
जहां क्रिकेट में अगर कोई खिलाडी सिर्फ एक या दो मैच खेल ले तो वह रातों रात दौलत और शोहरत पा लेता है. अगर वह खिलाड़ी एक शतक लगा ले या किसी बड़ी सीरीज़ का हिस्सा बन जाये तो उसके तो वारे न्यारे हो जाते है. लेकिन अब एक ऐसी सच्चाई हम आपको बताने जा रहे है जिसे जानकार आपके भी होश उड़ जाएंगे.
एशियाई खेल 2018 में हरीश ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली सेपकटकरा टीम का हिस्सा थे. भारत आने के बाद ना तो इनका स्वागत किया गया. ना ही किसी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बल्कि जो बस इनके लिए एयरपोर्ट पर लाइ गई थी उसे भी इन्हे ही धकाना पड़ा. ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले हरीश की तंग हाली का हिसाब इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें मैडल जीतकर आने के बाद शाम को अपने पिता की चाय की दुकान पर चाय बेचते पाया गया. जब इस बारे में हरीश से बात की गई तो हरीश कुमार ने कहा, “मेरा परिवार बहुत बड़ा हैं और आय के साधन बहुत कम है. मैं अपने परिवार की मदद चाय की दुकान पर आकर करता हूँ. मैं अपने परिवार का समर्थन करने के लिए एक अच्छी नौकरी प्राप्त करना चाहता हूं “
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