नई दिल्ली। वर्ष 2030 तक भारत सात मेगा सिटी वाला देश होगा, जिसमें प्रत्येक मेगा सिटी में 96 लाख जनसंख्या होगी। इन सात मेगा सिटी में आबादी के मामले में दिल्ली दूसरे स्थान पर होगी। यहां पर बता दें कि फिलहाल देश में मात्र पांच मेगा सिटी हैं, जिनकी जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है। इसका खुलासा वल्र्ड सिटीज रिपोर्ट-2016 में हुआ है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के डिपार्टमेंट ऑफ इक्नॉमिक्स एंड सोशल अफेयर ने जारी की है। रिपोर्ट में शहरों की प्रशासनिक सीमाओं पर भरोसा नहीं किया गया है। इसके बजाय विकसित होते शहरी क्षेत्र की अवधारणा का उपयोग करने के लिए प्राथमिकता दी गई है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुडगांव के उपग्रह शहरों का शामिल किया गया है।
दिल्ली के मुकाबले यहां पर जनसंख्या घनत्व कम है। दुनिया की बात करें तो ज्यादातर 31 सिटी में अनुमानतरू 5 करोड़ लोग रहते हैं। यह दुनिया की कुल आबादी का 6.8 फीसद है। इसे इस तरह कह सकते हैं कि 12 फीसद आबादी इन सिटी में रहती है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2030 तक मेगा सिटी की संख्या बढ़कर 41 हो जाएगी और इनकी आबादी होगी 7.3 करोड़, जो पूरी दुनिया की आबादी का 8.7 फीसद होगा। दूसरी ओर भारतीय सिटी में 2016 तक मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई शामिल हैं। आगामी 14 वर्षों के बाद यानी वर्ष 2030 तक हैदराबाद और अहमदाबाद भी इनमें शामिल हो जाएंगे, जिनकी जनसंख्या एक करोड़ होगी। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि शहरी क्षेत्र के लोग ही इन सिटी में रहते हैं। दुनिया की तकरीबन 21 फीसद आबादी इन सिटी में रहती है, जिनकी आबादी 50 हजार से एक करोड़ के बीच है। बावजूद इसके 26.8 फीसद के साथ बड़ी आबादी छोटी सिटी में निवास करती है, जिनकी आबादी 50 हजार से भी कम है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2030 तक दुनिया की 60 फीसद आबादी सिटी, छोटे बड़े शहरों में बसेगी। फिलहाल 54 फीसद आबादी इन शहरों में रहती है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि ये सिटी अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से जूझेगी और इसका असर हर साल मानसून के दौरान पड़ेगा। इन शहरों को यातायात संबंधी समस्या का सामना भी हर साल ही करना पड़ेगा। एशिया और अफ्रीका के ज्यादातर विकासशील शहरों में आबादी बढ़ रही है। अनुमान के मुताबिक, 2030 तक 41 में से 33 सिटी तीसरी दुनिया में शुमार होगी।