कोरबा। सर्पदंश का शिकार हुआ मोहन पटेल चार दिन बाद स्वस्थ होकर अस्पताल से सोमवार को घर लौटा। इसके साथ ही जार में कैद रखे करैत को जंगल में छोड़ दिया गया। इसके पहले सर्प की पूजा-अर्चना की गई। चार दिन पहले सर्प ने मोहन को काटा था। परिवार वालों का मानना था कि जब तक सांप जिंदा रहेगा, तब तक मोहन की सांसे चलेगी।
एक माह के अंतराल में सामने आया यह दूसरा ऐसा मामला है। रजगामार के गायत्री नगर में रहने वाले 30 वर्षीय मोहन पटेल को देर रात सोते वक्त एक करैत ने कंधे पर काट लिया। पहले तो मोहन को अस्पताल में भर्ती कराया गया, उसके बाद वापस घर लौटे परिजनों ने बिल में घुसे करैत को खोद बाहर निकालकर एक जार में बंद कर दिया है। उनकी भी यही मान्यता है कि जब तक सर्प जिंदा रहेगा, पीड़ित भी जीवित रहेगा।
गायत्री नगर के धेनु चौक पर मोहन पटेल व उसका परिवार निवास करता है। वह हाट-बाजार में समोसे-बड़े बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। गुरूवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात घर पर सोते वक्त करैत ने उसके कंधे पर काट लिया। इस दौरान उसकी पत्नी संतोषी, दस साल का पुत्र अनिल व आठ साल के सुनील भी नजदीक ही सो रहे थे। किसी सर्प के काटने पर पीड़ा महसूस हुई तो मोहन सबसे पहले अपनी पत्नी को बताया, जिसके बाद उसने पड़ोस में रहने वाले पुनिराम खैरवार को मोबाइल से सूचित किया।
पुनिराम ने मोहन के घर से लगे छोटे भाई सोहन, पिता विशाल पटेल व एक अन्य प़ड़ोसी संतोष साहू को खबर की। मोहन के घर पहुंचकर सबसे पहले उसे जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। मोहन को भाई सोहन के साथ अस्पताल में छोड़ पुनिराम और विशाल पटेल वापिस घर पहुंचे।
घर में खोज-बीन करने पर उन्हें कमरे में ही एक बिल दिखाई दिया, जिसे खोदने पर घोड़ा करैत नामक सांप दिखाई दिया। करैत की पूछ पकड़कर काबू में करते हुए उसे बाहर निकाला गया और तड़के 4 बजे एक तगाड़ी में ढककर बंद कर दिया गया। करैत कहीं सांस लेने में कठिनाई की वजह से मर न जाए, इस डर से बाद में उसे एक चॉकलेट के जार में कैद कर दिया गया।
गर्मी भांपकर करीब आने की आदत
सांप को कैद करने की खबर सुन सर्प विशेषज्ञ अविनाश यादव भी गायत्री नगर पहुंचे थे। सर्प को मुक्त कराने परिजनों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। तगाड़ी में बंद सर्प ऑक्सीजन की कमी से मर न जाए, यह बताने पर परिजन माने और अविनाश ने उसे एक चॉकलेट जार में छेद करके रखा। यह सर्प रात के वक्त ही निकलता है, इसलिए जमीन पर नहीं सोना चाहिए।
नाग से भी ज्यादा जहरीले सर्प ने काट लिया, तो घबराने की बजाय खुद को सामान्य रखने की कोशिश करनी चाहिए। दिल की गति सामान्य रहे, तो जहर धीरे फैलता है और सही इलाज के लिए वक्त मिल जाता है। घबराने या डरने से सांस फूलने के साथ हृदयगति बढ़ जाती है और उतनी ही तेज से जहर खून में मिलकर पीड़ित मौत के करीब आ जाता है।
निंजा और साइलेंट किलर भी कहते हैं
अविनाश ने बताया कि करैत के कई नाम हैं, जिनमें कॉमन क्रेट, ऑइल क्रेट, फुर्ती व तेजी से काटने के कारण निंजा किलर भी कहते हैं। यह सांप ठंडी से बचता है और गर्म स्थान पर कुंडली मारे चिपका रहता है। जमीन पर सोते व्यक्ति के शरीर की गर्माहट इसे आकर्षित करती और यह इसीलिए यह बिस्तर में घुस जाता है या शरीर से चिपककर सो जाता है।
इसके दांत बारीक होते है और यह इतनी तेजी और फुर्ती से काटता है कि कई बार इंसान को उसके काटने का भी पता नहीं चलता। जब जहर फैलता है, तब जाकर पीड़ित को पता चलता है, इसीलिए अक्सर वक्त पर इलाज शुरू नहीं हो पाता और करैत के ज्यादातर शिकार की मौत हो जाती है। करैत के चुपचाप काटकर गायब हो जाने के कारण ही उसे साइलेंट किलर भी कहते हैं।
पुत्र जिंदा रहे, इसलिए किया बंद
हमारे रजगामार प्रतिनिधि दिनेश कुर्रे ने मोहन के पिता विशाल पटेल से बात की। उन्होंने सर्प को पकड़कर रखने की वजह बताई। मान्यता है कि अगर किसी को सांप काट ले, तो जब तक वह व्यक्ति स्वस्थ नहीं हो जाता, सांप को जिंदा रखना जरूरी है। काटने के बाद अगर सांप मर गया, तो उस व्यक्ति के भी मरने का डर रहता है।