भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की कवायद रंग लाए तो दोनों देशों को सबसे बड़ा फायदा आपसी कारोबार को 6 गुना करने का होगा. मौजूदा समय में भारत और पाकिस्तान लगभग 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार करते हैं. इस कारोबार का बड़ा हिस्सा दोनों देशों के बीच एक तीसरे देश के सहारे किया जाता है. जाहिर है यह उल्टे हाथ से कान पकड़ने की कवायद है. अब दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की कवायद में लगे राजनयिक और कारोबारियों की मानें तो महज सीधे हाथ से कान पकड़ने पर दोनों देशों के बीच महज कुछ दिनों में द्विपक्षीय कारोबार 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा पार कर लेगा.
इस उम्मीद को केन्द्र में रखते हुए भारत की मौजूदा पाक नीति कहती है कि भारत की कोशिश है कि वह सभी मुद्दों को बातचीत के रास्ते हल करे. इस बातचीत में इन दो देशों के अलावा किसी अन्य की कोई भूमिका नहीं है. और इस बातचीत के लिए बेहद अहम है कि आतंकवाद से मुंह मोड़ लिया जाए क्योंकि आतंकवाद को पनाह देना और आपसी रिश्तों को मजबूत करने की कवायद एक साथ नहीं की जा सकती है. इस बातचीत को शुरू करने के लिए ऐसा माहौल तैयार करने की जरूरत है जहां आतंकवाद और हिंसा का साया मौजूद न हो.
पाकिस्तान में आम चुनावों के बाद इमरान खान की नई सरकार स्थापित हो चुकी है. इसके चलते एक बार फिर भारत ने कवायद तेज कर दी है कि धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए दोनों देश अर्थव्यवस्था को केन्द्र में रखने के लिए तैयार हो जाएं. हाल ही में लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करने हुए पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने दावा किया कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने का काम सबसे आर्थिक रिश्तों को मजबूत करके किया जा सकता है.
बिसारिया ने यह दावा भी किया कि मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार को देखें तो महज इस दिशा में सफलता मिलते ही दोनों देशों को अपना कारोबार 6 गुना करने में मदद मिलेगी. इस दलील के साथ बिसारिया ने भारत का पक्ष रखते हुए पाकिस्तान की नई सरकार से पेशकश की है कि उसे जल्द से जल्द भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी कारोबार को बाधित करने वाले नॉन टैरिफ ट्रेड बैरियर्स को खत्म कर देना चाहिए.
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच 2004-2008 तक चले कंपोजिट डायलॉग के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सीधे कारोबार में तेज इजाफा दर्ज हुआ. इस इजाफे के बीच सितंबर 2012 में दोनों देश आर्थिक रिश्तों को शीर्ष पर ले जाने के बेहद नजदीक पहुंच गई और एक रोडमैप तैयार किया गया जिससे दोनों देशों के बीच वाघा बॉर्डर पर सभी ट्रेड बैरियर हटाने के साथ-साथ एक-दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) की मान्यता देने पर सहमति बनी. इसके बाद दिसंबर 2012 तक भारत ने पाकिस्तान को एमएफएन स्टैटस (किसी भी देश के साथ कारोबार में भेदभाव नहीं करने की नीति) दे दिया लेकिन पाकिस्तान ने इस रोडमैप को नजरअंदाज कर दिया.
भारत की इस पेशकश पर लाहौर चैंबर के प्रेसिडेंट मलिक ताहिर जावेद का कहना है कि आंतकवाद की घटनाओं और हिंसा के चलते दोनों देशों के कारोबारी रिश्तों के झटका लगता रहा है. ताहिर के मुताबिक जब दोनों देशों के बाच स्थिति सामान्य होने लगती है, दोनों देश अधिक कारोबार करते हैं. लेकिन जैसे ही कारोबार नया कीर्तिमान स्थापित करता है राजनीतिक कारणों से दोनों देशों का कारोबार फिर निचे का रुख कर लेता है. लिहाजा, बेहद जरूरी है कि दोनों देश आतंकवाद को दरकिनार कर कारोबारी रिश्तों को मजबूत करें और द्विपक्षीय रिश्ते को आर्थिक आधार देने का काम करें.
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