नई दिल्ली। स्पेक्ट्रम नीलामी के पांचवें दिन गुरुवार को 31वें राउंड में सरकार को करीब 66000 करोड़ रुपए की बोलियां मिली।
इसके साथ ही शनिवार से शुरू देश में दूसरे दौर की स्पेक्ट्रम की सबसे बड़ी नीलामी को खत्म घोषित कर दिया गया।
मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों के बीच मुंबई और पूर्वी उत्तरप्रदेश में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड और राजस्थान में 800 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम को लेकर आखिरी तक रस्साकशी जारी रही।
दूरसंचार विभाग के सूत्रों के मुताबिक कीमत ज्यादा होने के कारण पांचवें दिन भी किसी कंपनी ने प्रीमियम 700 और 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम की कोई बोली नहीं लगाई। जाहिर है कि नीलामी में सरकार को उम्मीद से कहीं कम राजस्व मिले। जानकारों का कहना है कि 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम का रिजर्व प्राइस काफी ज्यादा होने के कारण किसी कंपनी ने कोई बोली नहीं लगाई।
गौरतलब है कि 700 मेगाहर्ट्ज का रिजर्व प्राइस 1140 करोड़ प्रति हर्ट्ज रखा गया था। इस प्रीमियम बैंड की नीलामी के लिए न्यूनतम बोली 55,000 करोड़ रुपए की थी और जो भी कंपनी बोली लगाती, उसे इसकी आधी रकम एक महीने के भीतर जमा करानी होती।पांचवें दिन नीलामी के राउंड का समय 60 मिनट से घटाकर 45 मिनट कर दिया गया था।
सरकार को सबसे ज्यादा बोली मुंबई और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में मिली हैं। दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर क्वांटिटी की बात की जाए तो पिछली दो नीलामियों (साल 2014 और 2015) के मुकाबले इस बार अधिक एयरवेब्स के लिए बोलियां लगी हैं।
नीलामी में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, रिलायंस जियो इन्फोकॉम, रिलायंस कम्युनिकेशन्स, आइडिया सेल्युलर, एयरसेल और टाटा टेली हिस्सा ले रही थीं। प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों ने नीलामी में हिस्सा लेने के लिए जमानत राशि के रूप में 14,653 करोड़ रुपये जमा कराए थे। वहीं रिलायंस जियो ने अकेले 6500 करोड़ रुपये जमा कराये थे।
इस नीलामी में दूरसंचार विभाग ने सात अलग अलग बैंड के 2300 मेगाहर्ट्ज से अधिक का स्पेक्ट्रम रखा था, जिनमें 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड शामिल था। ये स्पेक्ट्रम 2जी, 3जी और 4जी सेवाएं देने के लिए हैं।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal