आर्थिक आधार पर सवर्णों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण देने का कानून उत्तर प्रदेश में भी जल्द ही लागू हो सकता है। गुजरात, उत्तराखंड समेत कई राज्यों ने इसमें तेजी दिखाई है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले का लाभ आमजन को देने की प्रक्रिया पर यहां भी मंथन शुरू हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि फरवरी में शुरू हो रहे विधान मंडल सत्र में इसकी वैधानिक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। या फिर जनवरी में ही अध्यादेश के जरिये भी इसे लागू किया जा सकता है। 
फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार बाहर रहने के कारण अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हो सका है।
वैधानिक प्रक्रिया जल्द होगी पूरी
मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय का कहना है कि यह वैधानिक प्रक्रिया है और इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा। संबंधित विभागों के अधिकारी इसकी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। एक संभावना तो यह है कि इसके लिए बजट सत्र की प्रतीक्षा की जाय। दूसरी संभावना अध्यादेश के जरिये इसे लागू करने की है। ऐसा करने पर इसे तुरंत लागू किया जा सकता है। अगर अधिनियम के जरिये इसे लागू किया गया तो इस दौरान जिन सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन आएंगे उनके अभ्यर्थी इसके पात्र हो जाएंगे। तुरंत लाभ मिलने पर आरक्षण को लेकर भाजपा का जो राजनीति मकसद है, वह सधेगा। क्या करना है यह बुधवार को मुख्यमंत्री के गोरखपुर से यहां लौटने के बाद ही तय होगा।
कैबिनेट में मिल सकती सैद्धांतिक मंजूरी
संभावना इस बात की है कि सरकार कैबिनेट की बैठक में इसे सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दे और बाद में कानून बनाए। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सरकार इसे जल्दी तो लागू करना चाहती है, पर इस जल्दी में वह कोई कमी नहीं छोडऩा चाहती। हाल ही में केंद्र सरकार ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन किया। इस पर राष्ट्रपति भी मंजूरी दे चुके हैं। उप्र के अधिकारी इस बारे में केंद्र और गुजरात समेत अन्य राज्यों के अधिकारियों से भी संपर्क में हैं।
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