फतेहाबाद। पेंशन बहाली संघर्ष समिति के आह्वान पर जिला फतेहाबाद के समस्त कर्मचारियों ने रोहतक में होने वाली ओपीएस तिरंगा मार्च की अनुमति रद्द करने के विरोध में सोमवार को काला रिबन बांधकर अपना विरोध जताया।
समिति के राज्य महासचिव ऋषि नैन ने कहा कि हरियाणा के कर्मचारी पिछले छह साल से अपनी पुरानी पेंशन की मांग को लेकर संघर्षरत हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए शहरों में ओपीएस तिरंगा मार्च निकाले जा रहे हैं। 8 सितंबर को रोहतक में होने वाली ओपीएस तिरंगा मार्च की अनुमति देने के बाद प्रशासन ने राजनीतिक दबाव के चलते शुक्रवार रात प्रशासनिक व आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए अनुमति रद्द कर दी गई। उन्हाेंने बताया कि इसके बाद समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल के नेतृत्व में राज्यस्तरीय बैठक कर यह निर्णय लिया गया कि हरियाणा के सभी विभागों के कर्मचारी अपने कार्यालय में 9 से 11 सितंबर तक तीन दिन काली पट्टी बांधकर या काले कपड़े पहन कर काम करेंगे और सरकार के इस तानाशाही रवैये का विरोध जताएंगे। राज्य ऑडिटर विजय भूना ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकार को खत्म किया है।
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सरकार दमन की नीति पर आ गई है। उनका कहना है कि लोकतंत्र में इस प्रकार से अनुमति रद्द करना उचित नहीं है। किसी भी व्यक्ति के बोलने और अपनी बात को रखने के अधिकार को खत्म नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में हरियाणा के तमाम विभागों के तीन लाख कर्मचारी और अधिकारी वोट फॉर ओपीएस की मुहिम चलाएंगे और अपने परिवार सहित संवैधानिक मताधिकार का प्रयोग अपनी पुरानी पेंशन की बहाली के लिए अपील करेंगे। जिला प्रधान नरेश जांगड़ा व महासचिव अजीत ने जिले के सभी कर्मचारियों से अपील की कि जिस जोश के साथ जिले के सभी कर्मचारियों ने अपना विरोध दर्ज करवाया है।