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आचरण में देश, संस्कृति और अपने ग्रंथों को करें समाहितः ऋतेश्वर जी महाराज
आचरण में देश, संस्कृति और अपने ग्रंथों को करें समाहितः ऋतेश्वर जी महाराज

आचरण में देश, संस्कृति और अपने ग्रंथों को करें समाहितः ऋतेश्वर जी महाराज

वाराणसी। मथुरा जिले के वृंदावन स्थित श्री आनंदम धाम के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर जी महाराज ने कहा कि अंग्रेजी ने हमारे समाज और संस्कृति को काफी नुकसान पहुंचाया है। अगर हम अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान नहीं करेंगे तो देश खंड-खंड होने के कगार पर होगा। उन्होंने कहा कि भाषा हमारे संस्कारों को बचाने का काम करती है। बांग्लादेश में भी ऐसी ही एक स्थिति बनी, लोगों ने अपनी जान गंवाई, अस्मिता तक लुट गई लेकिन उन्होंने भाषा को बचाकर एकजुटता का प्रमाण दिया।

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ऋतेश्वर जी महाराज ने शनिवार को बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में आयोजित भाषाई कला संगम 2024 के अवसर पर अपने आशीर्वचन में यह बात कही। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर स्थित त्रियंबकेश्वर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने पूर्व में विदेशी हमलावरों का जिक्र करते हुए कहा कि खिलजी ने आक्रमण कर सिर्फ लोगों को नहीं मारा बल्कि नालंदा को ध्वस्त कर लोगों की सोच को मारने का काम किया। एक ही दिन में एक लाख लोगों को सिर्फ इसलिए मारा गया कि उसके गुप्तचरों ने कहा कि इन्हें वो पुस्तकें कंठस्त हैं, जिन्हें हमने जला दिया है। तब खिलजी ने सभी को हलाक करा दिया।

ऋतेश्वर जी महाराज ने कहा कि आज सबसे भयानक स्थिति यह बन रही है कि हिंदी दिवस को समझाने के लिए भी अंग्रेजी भाषा का उपयोग करना पड़ रहा है। आज अंग्रेजी के जरिए ही हिन्दी भाषा, अपनी संस्कृति को सिखाने का काम किया जाना आश्वयक है क्योंकि लोग समझेंगे उसे ही जो उनकी बुद्धि, विचार और आदतों में शामिल है। जब तक हम आचरण में देश, संस्कृति और अपने ग्रंथों को समाहित नहीं करते, हमारी पूरी कोशिशें खोखली ही साबित होंगी। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चीज भारत को बचाना है। ऐसे में बनारसियों की जितनी तारीफ की जाए कम है। बनारसी चाहे कुछ भी बन जाए या कहीं पहुंच जाए, वो अपनी भाषा नहीं छोड़ता। विदेश से लौट कर भी बनारसी अपने घर में काहो चाय-वाय ना पिलइबु ही बोलता है। ना कि वन कप टी मांगता है। उन्होंने कहा कि पढ़ लेने से डिग्री आ जाती है, आदमी आर्थिक रूप से सफल भी होता है लेकिन सफलता का मानक यह नहीं है, सफलता का मानक है लोग जब आनंदित हों वही सफल है। जो तनाव में है वो असफल है।

इस अवसर पर बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हमारी संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः की परिकल्पना निहित है। हम अपने से ज्यादा औरों को तरजीह देते हैं, यह हमारे सनातन मूल्यों को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भाषा में इतिहास और संस्कृत का समावेश है।

उप मुख्यमंत्री सिन्हा ने कहा कि हम अपने सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करें और अपनी मर्यादा का पालन करें। जरूरी है कि हम अधिकारों के साथ मर्यादा की भी बात करें। कर्तव्य बोध के साथ भारतीय भाषा के संचयन और उसके प्रचार पर भी जोर देना आवश्यक है। आज भी हम अपनी ही भाषा के लिए चर्चा परिचर्चा करनी पड़ी रही है क्योंकि लोग अब इससे विरत होकर दूसरी संस्कृति और भाषा के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति से भाषा और संस्कृति का बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि आज एक माहौल बनाने की जरूरत है कि हम अपनी विरासत को बचाने को लेकर अमृत काल में युवा पीढ़ी को तैयार करें। इसमें पंच प्रण की महती भूमिका है, जो युवाओं के मन के अंदर संस्कृति और भाषा के प्रति प्रेम उत्पन्न करे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम मूलतः भाषा का है, हिंदी भाषा का है। भारत में ही हिंदी भाषा का कार्यक्रम होना विचारणीय प्रश्न है। इसके पीछे जरूर दिक्कत है क्योंकि हम अपनों को अपनी ही भाषा के प्रयोग आदि के लिए बारम्बर बोलना पड़े तो समाधान खोजना आवश्यक हो जाता है। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं है, यह संस्कारों की संवाहिका है। इनके जरिए उपजे हर शब्द अन्तर्निहित अर्थों के साथ पहुंचने वाले तक को आनंदित करती हैं। इसीलिए आवश्यक है कि हम भाषा को संस्कारों के तौर पर अपने तरुण और वयस्क साथियों के साथ जोड़ने के लिए लगातार प्रयास करें।

अभय कुमार ने कहा कि आप भारत के जिस भी भाग के रहने वाले हैं वहां की मूल भौगोलिक भाषा का अपने घर में उपयोग करते रहें, तभी देश से आपका और आपकी आने वाली पुश्तों का जुड़ाव सुनिश्चित हो सकेगा। आज के इस कार्यक्रम के तहत हम प्रण करें की अपनी मौकिल भाषा या बोली का उपयोग हम लगातार करते रहेंगे, अन्यथा ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे और भविष्य में भी हम यूं ही लोगों को उद्वेलित करते रह जाएंगे।

उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी ने कहा कि 14 सितंबर के दिन को हिन्दुस्थान समाचार भारतीय भाषा दिवस के तौर पर लगातार मनाता आ रहा है। इस क्रम में आज भारतीय भाषाओं के लोक कलाकारों से संबद्ध कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। काशी विश्वनाथ धाम में भोले बाबा के आशीर्वाद के साथ लोक कलाकारों का अद्भुत संगम हुआ है, जो अपने आप में विलक्ष्ण है।

पूर्व मंत्री एवं वाराणसी शहर दक्षिणी के विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि पंच प्रण की संकल्पना भारतीय भाषा और संस्कृति के आधार पर समृद्ध भारत को उल्लेखित करना है। यह पंच प्रण ही देश को समृद्धशाली बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविंद भालचंद्र मार्डीकर ने की। इस अवसर पर उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में समाचार की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हिन्दुस्थान समाचार की स्थापना की गई। इस प्रयास के फलस्वरूप ही आज हम 12 भाषाओं में खबरें प्रेषित कर रहे हैं।

इस मौके पर विजय कुमार सिन्हा ने भारतीय भाषाई क्षेत्र के लोककला, शास्त्रीय एवं जनजातीय क्षेत्र के 25 कलाकारों को ‘भाषाई कला सम्मान’ से सम्मानित किया। कार्यक्रम में हिन्दुस्थान समाचार समूह की दो प्रमुख पत्रिकाएं- युगवार्ता (पाक्षिक) और नवोत्थान (मासिक) के विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया।

इससे पहले श्री ए. वेंकटरमन घनपाठी एवं अन्य आचार्यों के वैदिक मंत्रोच्चार के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मंचासीन अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान डै लिम्स सनबीम स्कूल के बच्चों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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