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रायबरेली: 5 साल बाद भी नहीं बना रेलवे ओवर ब्रिज, पीएम मोदी ने किया था लोकार्पण

रायबरेली: 5 साल बाद भी नहीं बना रेलवे ओवर ब्रिज, पीएम मोदी ने किया था लोकार्पण

एनएचएआई और रेलवे ने प्रधानमंत्री मोदी की मंशा पर फेरा पानी

रायबरेली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में रायबरेली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लालगंज एनएचएआई बाई पास पर रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का लोकार्पण किया था। पीएम मोदी ने दिसंबर 2018 में 1100 करोड़ की लागत की परियोजना का लोकार्पण किया था।
हालांकि, यह ब्रिज बनकर तैयार हो गया था लेकिन भ्रष्टाचारियों की करगुजारियों के चलते 5 माह भी नहीं चल सका। और राहगीरों का आवागमन ठप हो गया।

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ब्रिज की स्थिति और भ्रष्टाचार की कहानी
लोकार्पण के मात्र 5 माह बाद मई 2019 में ही इस ब्रिज के पिलर में दरारें आने लगीं, जिसके कारण यह ब्रिज ठप हो गया। आरओबी में आर्च हैंगर में आई दरार के चलते एनएचएआई ने आवागमन को बंद कर दिया।
तभी से इस रेलवे ओवर ब्रिज पर लगातार निर्माण करने के दावे किए जा रहे हैं। 5 साल बीतने के बाद भी आज तक आरओबी नहीं बन सका और प्रतिदिन 25 हजार राहगीरों को रायबरेली से लालगंज, फतेहपुर ,बांदा और बहराइच के आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

एनएचएआई की कार्यशैली पर उठ रहे गंभीर सवाल
भले ही एनएचएआई के परियोजना निदेशक ने इस परियोजना को पूरा करने के कई बार दावे किए , लेकिन किए गए दावे हवा-हवाई साबित हो गए हैं। आज भी लालगंज बाईपास रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। लालगंज के लोग इस लंबे इंतजार के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की साख पर पर एनएचएआई द्वारा प्रश्नचिह्न लगाने की बातें कर रहे हैं। खासकर जब बात भ्रष्टाचार और काम की गुणवत्ता की होती है।

स्थानीय लोगों की चिंता
लालगंज के स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस आरओबी के न बनने से उनकी दिन-प्रतिदिन की ज़िंदगी में कठिनाई आ रही है। लालगंज नगर क्षेत्र से होकर गुजरने वाले भारी वाहनों से धूल उड़ाने के कारण वे सांस के रोगी तक हो गए हैं। सड़क जाम का सामना करना पड़ रहा है। भारी वाहनों से कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं।
उन्हें वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो समय और संसाधनों की बर्बादी कर रहा है।
इस स्थिति ने साफ कर दिया है कि एनएचएआई को अपनी कार्यशैली में सुधार करने की आवश्यकता है। यदि यह समस्या समय पर हल नहीं होती है, तो प्रधानमंत्री मोदी की छवि को और अधिक धक्का लगेगा। स्थानीय निवासियों की मांग है कि जल्द से जल्द इस ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा किया जाए, ताकि उनकी परेशानियों का समाधान हो सके।

निष्कर्ष:

पीएम मोदी के नाम पर किए गए इस लोकार्पण का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है, और इसका असर जनता की जिंदगी पर पड़ रहा है। केंद्र सरकार, पीएमओ को इस मामले में गंभीरता से हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है

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