लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों के प्रभावी निस्तारण के लिए एक नई ओटीपी व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। यह प्रणाली उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज करने के बाद और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही प्रदान करेगी।
ओटीपी प्रणाली का कार्यान्वयन:
उपभोक्ता जब भी बिजली शिकायत दर्ज करेगा, उसके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक सेल्फ जेनरेटेड ओटीपी भेजा जाएगा। इस ओटीपी का उपयोग शिकायत की पुष्टि के लिए किया जाएगा।
शिकायत का निस्तारण:
उपभोक्ता की शिकायत का निस्तारण होने के बाद ही उसकी एप्लीकेशन को क्लोज किया जा सकेगा। इससे सुनिश्चित होगा कि केवल वास्तविक निस्तारण ही रिकॉर्ड किया जाए।
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मुआवजा प्रणाली:
यदि किसी उपभोक्ता की शिकायत का निस्तारण समय पर नहीं होता है, तो वह मुआवजे का दावा कर सकेगा। इसके साथ ही, गलत बिलिंग पर भी बिजली कंपनियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
फर्जी निस्तारण की रोकथाम:
1912 पर आने वाली शिकायतों का फर्जी निस्तारण नहीं दिखाया जा सकेगा। अभियंताओं को वास्तविकता के अनुसार ही शिकायतों का निस्तारण करना होगा, ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।
कार्य योजना का अनिवार्य दाखिला:
सभी बिजली कंपनियों को अगले 3 महीने में आयोग में अपनी कार्य योजना दाखिल करनी होगी, जिसमें शिकायत निस्तारण की प्रक्रिया और समय सीमा का विवरण होगा।
विद्युत दुर्घटनाओं पर मुआवजा:
विद्युत दुर्घटनाओं के मामलों में भी निस्तारण के साथ-साथ पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
यह नई व्यवस्था बिजली उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाने और शिकायत निस्तारण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए बनाई गई है। सरकार का लक्ष्य है कि उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों का त्वरित समाधान मिल सके, जिससे बिजली वितरण में सुधार हो सके।