उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेशभर में संचालित 4000 से अधिक मदरसों की विदेशी फंडिंग की जांच कराने का निर्णय लिया है। यह कदम धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों से संबंधित शिकायतों के मद्देनजर उठाया गया है। सरकार ने एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय एसआईटी टीम का गठन किया है, जिसमें एसपी साइबर क्राइम डॉक्टर त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा भी शामिल हैं।
यह टीम यह जांच करेगी कि विदेशी फंडिंग से कितनी रकम आयी है, वह कहाँ से भेजी गई है और इस रकम का उपयोग किस मद में किया गया। विशेष रूप से नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों जैसे लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, बहराइच और सिद्धार्थनगर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जहाँ मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या पर चिंतन
हाल ही में प्रदेश में मदरसों का सर्वे किया गया था, जिसमें 8,500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का संचालन पता चला। इन मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने के आरोप लगाए गए हैं, जो संभावित रूप से गलत गतिविधियों में इस्तेमाल हो रही हैं। प्रदेश में कुल 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
इसके साथ ही, एटीएस ने हाल ही में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ करने वाले एक गिरोह के तीन सदस्यों को पकड़ा। जांच में सामने आया कि दिल्ली स्थित एक एनजीओ के माध्यम से पिछले तीन वर्षों में 20 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग की गई है, जिसका इस्तेमाल घुसपैठियों की मदद के लिए किया जा रहा था। इस पहलू को भी एसआईटी की जांच में शामिल किया गया है।
सरकार का यह कदम मदरसों के वित्तीय स्रोतों और उनके उपयोग की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
also read: UP में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को राहत: कमर्शियल इस्तेमाल पर FIR नहीं