लखनऊ: योगी सरकार 15 से 20 नवंबर तक प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव का आयोजन करने जा रही है। यह उत्सव जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है, जो कि महान जननायक बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाएगा। इस आयोजन का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे और इसमें प्रदेशवासियों को देश-विदेश की लोकसंस्कृति से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
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कार्यक्रम की विशेषताएँ:
- सांस्कृतिक समागम शोभायात्रा
15 नवंबर को सुबह 11 बजे से सांस्कृतिक समागम शोभायात्रा निकलेगी, जिसमें उत्तर प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्यों के कलाकार भी भाग लेंगे। इस शोभायात्रा में विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रदर्शित किए जाएंगे। इसमें जम्मू कश्मीर के मोंगो नृत्य, राजस्थान का तेरहताली नृत्य, सिक्किम का सिंघी छम नृत्य, मध्य प्रदेश का रमढोल नृत्य, महाराष्ट्र का सांगी मुखौटे नृत्य, छत्तीसगढ़ का माटी मांदरी नृत्य, उत्तर प्रदेश के चंगेली नृत्य, बीन बादन, कठपुतली का प्रदर्शन आदि प्रमुख होंगे। - देश-विदेश के कलाकारों का मंचन
इस उत्सव में 20 से अधिक भारतीय राज्यों के कलाकार भाग लेंगे, जिसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, सिक्किम, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, झारखंड, आसाम, पंजाब, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों के कलाकार अपनी लोकसंस्कृति प्रस्तुत करेंगे। साथ ही, स्लोवाकिया और वियतनाम के कलाकार भी अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। - पोथी घर में जनजाति पुस्तकों का अवलोकन
उत्सव के दौरान पोथी घर में जनजातियों से जुड़ी पुस्तकों का प्रदर्शन होगा, जहां लोग जनजातियों की जीवनशैली, संस्कृति, खान-पान, और परंपराओं के बारे में जान सकेंगे। - विमर्श कार्यक्रम
इस उत्सव में कई महत्वपूर्ण विमर्श सत्र भी आयोजित होंगे:
- 16 नवंबर को ‘क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान’ पर विमर्श।
- 17 नवंबर को ‘जनजाति शिक्षा और स्वास्थ्य-जागरूकता’ पर चर्चा।
- 18 नवंबर को ‘लोकल से ग्लोबल तक’ विषय पर जनजातियों में उद्यमिता विकास के अवसर।
- 19 नवंबर को ‘जनजाति विरासत संरक्षण और संवर्धन’ पर विमर्श।
- 20 नवंबर को ‘जनजाति विकास में गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका’ पर चर्चा।
- जनजाति लोकवाद्यों और नृत्य प्रदर्शन
19 और 20 नवंबर को मध्य प्रदेश की टीम द्वारा बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा, बुक्सा, सहरिया, भुंजिया, और त्रिपुरा के लोकनृत्य का भी मंचीय प्रदर्शन होगा। - देसी व्यंजनों का स्वाद
इस उत्सव में देसी व्यंजन भी आकर्षण का केंद्र होंगे, जहां लोग विभिन्न प्रदेशों के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे।
मुख्य आकर्षण:
- शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम
- देश-विदेश के कलाकारों का मंचन
- जनजाति लोकवाद्यों का प्रदर्शन
- पुस्तक प्रदर्शनी और विमर्श सत्र
- दैनिक सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाटक प्रस्तुति
- देसी व्यंजन और अन्य आकर्षण
इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करना है, बल्कि जनजातियों की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों को भी उजागर करना है। यह आयोजन उत्तर प्रदेश की समृद्ध और विविध संस्कृति को प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।