” बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला। 21 मुख्य बिंदुओं के साथ जानें कि किस आधार पर होगी बुलडोजर कार्रवाई, और कहां लगेगी रोक। क्या आरोपी का घर बिना सुनवाई गिराया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत निर्णय पढ़ें।”
नई दिल्ली। 13 नवंबर 2024: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे नियंत्रित करने के लिए 21 महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी आरोपी या दोषी का घर सिर्फ इस आधार पर ध्वस्त नहीं किया जा सकता है कि उस पर कोई अपराध का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से यह सुनिश्चित होगा कि राज्य और प्रशासन मनमाने तरीके से बुलडोजर एक्शन का इस्तेमाल न कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट के 21 निर्देश
- घर गिराने का केवल आरोप के आधार पर आदेश नहीं दिया जा सकता। राज्य बिना किसी उचित कारण के कार्रवाई नहीं कर सकता।
- संविधान में सामूहिक दंड का प्रावधान नहीं है। बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड जैसा है, जो असंवैधानिक है।
- बिना निष्पक्ष सुनवाई के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह किसी के अधिकारों का हनन है।
- कानून का शासन और निष्पक्षता सर्वोपरि हैं।
- मनमाने विवेक की अनुमति नहीं दी जा सकती।
- आरोपी और दोषी दोनों को भी न्यायिक संरक्षण मिलना चाहिए।
- नागरिक अधिकारों की रक्षा संवैधानिक लोकतंत्र की मूलभूत आवश्यकता है।
- संविधान का पालन प्रशासन का कर्तव्य है।
- अधिकारियों को मनमानी कार्रवाई के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।
- सत्ता का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।
- स्थानीय कानूनों के आधार पर ही संपत्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए।
- अगर संपत्ति अवैध हो, तो पूरी संरचना के बजाय केवल गैरकानूनी हिस्सा गिराया जा सकता है।
- बुलडोजर कार्रवाई के नोटिस में कारण और सुनवाई की तिथि स्पष्ट होनी चाहिए।
- तीन महीनों में डिजिटल पोर्टल बनेगा, जिसमें नोटिस की जानकारी और सार्वजनिक स्थान पर प्रदर्शित की गई तारीख की जानकारी होगी।
- निजी सुनवाई का अधिकार दिया जाएगा।
- आदेश में बुलडोजर कार्रवाई की आवश्यकता का कारण दर्ज किया जाएगा।
- बुलडोजर तभी चलेगा जब संरचना सार्वजनिक रास्ते, रेलवे ट्रैक, या जल निकाय पर हो।
- केवल अनधिकृत संरचनाओं को गिराया जाएगा।
- अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो हर्जाना देना होगा।
- तोड़फोड़ की पूरी प्रक्रिया की स्पॉट रिपोर्ट और वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी।
- दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होने पर संबंधित अधिकारी जवाबदेह होंगे और संपत्ति की बहाली की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला नागरिकों के अधिकारों और संविधान के प्रावधानों की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि किसी भी नागरिक का घर उसकी सुरक्षा और परिवार की उम्मीदों का प्रतीक होता है।
देश-दुनिया से जुड़े राजनीतिक और सामयिक घटनाक्रम की विस्तृत और सटीक जानकारी के लिए जुड़े रहें विश्ववार्ता के साथ। ताज़ा खबरों, चुनावी बयानबाज़ी और विशेष रिपोर्ट्स को पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहें।
रिपोर्ट: मनोज शुक्ल