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मणिपुर हिंसा

मणिपुर हिंसा: AFSPA हटाने की मांग,राज्य में हिंसा और संघर्ष का दौर जारी

मणिपुर । मणिपुर में बढ़ती हिंसा के बीच राज्य सरकार ने AFSPA हटाने की मांग की है। गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी रैलियां रद्द कर दिल्ली लौटने का निर्णय लिया, जबकि CRPF प्रमुख को हालात का जायजा लेने भेजा गया है। 16 नवंबर को मुख्यमंत्री और विधायकों पर हमले हुए, और कर्फ्यू सहित इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। यदि स्थिति बिगड़ती है, तो राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।”

AFSPA एक विशेष कानून है जो विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि अशांति और आतंकवाद के मामलों में लागू किया जाता है। इस कानून के तहत, सुरक्षा बलों को किसी भी व्यक्ति पर गोली चलाने का अधिकार मिलता है, बशर्ते वे पहले चेतावनी दें। इसके तहत, सुरक्षाबलों को बिना वारंट के घरों की तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का अधिकार भी होता है। इसके लागू होने पर सैन्य बलों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही की अनुमति नहीं होती।

14 नवंबर को केंद्र सरकार ने मणिपुर के 5 जिलों—इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिश्नुपुर—में AFSPA लागू किया था, क्योंकि वहां की स्थिति को संवेदनशील माना गया था। इन क्षेत्रों में आंतरिक अशांति और हिंसा के कारण यह कदम उठाया गया था। AFSPA की मौजूदगी में, सैन्य बलों को यह अधिकार मिलता है कि वे किसी भी व्यक्ति को संदिग्ध मानकर उस पर गोली चला सकते हैं, बिना किसी प्रकार के कानूनी प्रतिबंध के।

मणिपुर में 16 नवंबर को जिरीबाम के बराक नदी के किनारे तीन शव मिले—दो महिलाएं और एक बच्चा। इन शवों के बारे में माना जा रहा है कि इन्हें 11 नवंबर को कुकी उग्रवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। 11 नवंबर को, सुरक्षाबलों ने 10 बंदूकधारी उग्रवादियों को मार गिराया था। वहीं, कुकी-जो संगठन ने इन 10 उग्रवादियों को अपने गांव के गार्ड के तौर पर बताया था, जो सुरक्षा के लिए गांवों में तैनात थे। 15 नवंबर की रात को भी एक महिला और दो बच्चों के शव बरामद हुए, जिनके बारे में जांच चल रही है।

इन घटनाओं के बाद मणिपुर में हिंसा और प्रदर्शनों की संख्या में इजाफा हुआ है। स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है, और कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुई हैं।

मणिपुर की स्थिति को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने नागपुर में निर्धारित अपनी चार रैलियां रद्द कर दीं। इसके बाद, वे दिल्ली लौट आए और राज्य की सुरक्षा स्थिति पर उच्च स्तरीय बैठक की। गृह मंत्रालय ने मणिपुर की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है और केंद्रीय सुरक्षा बलों को वहां तैनात करने की प्रक्रिया को तेज किया गया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के प्रमुख अनीश दयाल को मणिपुर भेजा गया है ताकि वह स्थिति का जायजा ले सकें और वहां की सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूती से लागू किया जा सके।

राज्य की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार ने पांच जिलों—इंफाल, जिरीबाम, कांगपोकपी, बिश्नुपुर और चुराचांदपुर—में कर्फ्यू लगा दिया है। इसके अलावा, सात जिलों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है ताकि हिंसा और उग्र विरोध की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। इंटरनेट बंदी से सरकार का उद्देश्य अफवाहों और झूठी सूचनाओं के प्रसार को रोकना है, जो स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं।

16 नवंबर को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके साथ 10 विधायकों के घरों पर हमले हुए। यह हमले राज्य में बिगड़ती हुई स्थिति और उग्र विरोध को दर्शाते हैं। इन हमलों के बाद कई भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की है और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र भेजा है। अगर अगले दो-तीन दिनों में स्थिति और बिगड़ती है, तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की संभावना भी जताई जा रही है।

राजनीतिक हलकों में यह चर्चा हो रही है कि अगर मणिपुर में हिंसा और तनाव का सिलसिला जारी रहता है और हालात काबू से बाहर हो जाते हैं, तो केंद्र सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है। राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य सरकार की शक्तियां केंद्र सरकार के अधीन हो जाती हैं और राज्य में राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर कोई अन्य नियुक्त किया जाता है।

मणिपुर में जो हिंसक घटनाएं हो रही हैं, वे न केवल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं, बल्कि पूरे देश की चिंता का विषय बन गई हैं। राज्य सरकार की AFSPA हटाने की मांग और केंद्र सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर निरंतर निगरानी यह संकेत देती है कि मणिपुर में स्थिति को सुधारने के लिए और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

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