“सपा की चिट्ठी को कांग्रेस ने समर्थन देते हुए कहा कि पुलिस को महिला वोटर्स का बुर्का हटाने या मतदाता पर्ची चेक करने का अधिकार नहीं है। पीठासीन अधिकारी ही बुर्का और पहचान की जांच कर सकते हैं।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों से पहले बुर्का जांच विवाद ने तूल पकड़ लिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर यह मांग की थी कि पुलिसकर्मी महिला वोटर्स का बुर्का हटाने या मतदाता पर्ची की जांच करने का प्रयास न करें।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सपा का समर्थन किया है। कांग्रेस ने कहा कि महिला वोटर्स की पहचान और जांच का अधिकार केवल बूथ पर मौजूद पीठासीन अधिकारी को है, पुलिस को ऐसा करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
सपा का रुख
सपा ने अपनी चिट्ठी में तर्क दिया कि चुनावी प्रक्रिया में पुलिस की ऐसी भूमिका से महिला मतदाताओं के बीच भय का माहौल बन सकता है। पार्टी ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि महिला अधिकारों और गोपनीयता का सम्मान हो।
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर सपा के रुख का समर्थन करते हुए कहा,
“यह नैतिकता और लोकतंत्र की गरिमा का सवाल है। पुलिस का काम सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि वोटिंग प्रक्रिया में दखल देना।”
चुनाव आयोग से उम्मीदें
दोनों पार्टियों ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि महिला मतदाताओं की निजता और अधिकारों का हनन न हो।
चुनावों में बढ़ती संवेदनशीलता
बुर्का जांच विवाद चुनावी प्रक्रिया में महिला अधिकारों और उनकी निजता को लेकर उठे सवालों को दर्शाता है। जहां एक ओर सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के सशक्तिकरण और सम्मान की बात भी सामने आ रही है।
नोट:
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विशेष संवाददाता: मनोज शुक्ल
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