“हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण पर चिंता जताई। उन्होंने अजमेर दरगाह और संभल विवाद पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी, साथ ही बाबरी मस्जिद मामले का उल्लेख किया।”
श्रीनगर: हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने धार्मिक स्थलों के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण पर चिंता व्यक्त की। शुक्रवार को जामिया मस्जिद में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम विरासत और उनके अधिकारों की रक्षा करना बेहद महत्वपूर्ण है।
अजमेर दरगाह और ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण
मीरवाइज उमर फारूक ने राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान की एक अदालत ने दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है, जो मुसलमानों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने इस प्रक्रिया को जानबूझकर किया गया कदम बताया, जिसमें न्यायालय सर्वेक्षण का आदेश देता है, जिसके बाद बहुमत के दावों को संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता है।
बाबरी मस्जिद का मामला ताजा
फारूक ने कहा कि बाबरी मस्जिद का मुद्दा मुसलमानों के दिमाग में अभी भी ताजा है और यह केवल भारत और कश्मीर ही नहीं, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप और दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक बेहद गंभीर मुद्दा है। उन्होंने यह भी कहा कि 800 साल पुरानी हजरत मोइनुद्दीन की दरगाह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए पूजनीय है और यह कश्मीरियों के लिए विशेष महत्व रखती है।
धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन
मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि अदालत और सरकार द्वारा समर्थित मस्जिदों के सर्वेक्षण से मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। उन्होंने इस प्रकार की कार्रवाइयों को खतरनाक प्रवृत्ति बताया और कहा कि इससे बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
धर्मनिरपेक्षता पर सवाल
फारूक ने यह भी सवाल उठाया कि अगर भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य है, जैसा कि संविधान में लिखा है, तो फिर इन मुद्दों को बार-बार क्यों उठाया जा रहा है और उन पर चर्चा की जा रही है।
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