कानपुर। जनसुनवाई पोर्टल (आईजीआरएस) पर शिकायतों में गड़बड़ी और गलत रिपोर्टिंग करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह का शिकंजा कसता जा रहा है।
सोमवार को जिलाधिकारी ने बिल्हौर तहसील के लेखपाल देवेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया। वहीं, सदर तहसील के सचेंडी में तैनात एक अन्य लेखपाल के विरुद्ध तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
शिकायत के बाद लेखपाल निलंबित
कलेक्ट्रेट में हुई जनसुनवाई के दौरान शिकायत प्राप्त हुई कि बिल्हौर तहसील के लेखपाल देवेंद्र कुमार ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा हटाने में लापरवाही की। इसके अलावा, सरकारी बंटवारे के मामले में सही जानकारी देने के बजाय पोर्टल पर गलत आख्या प्रस्तुत की।
जिलाधिकारी ने मामले को गंभीर मानते हुए बिल्हौर के उपजिलाधिकारी को तत्काल प्रभाव से लेखपाल को निलंबित करने का आदेश दिया। इसके बाद संबंधित लेखपाल के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
जमीन की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी का मामला
दूसरे मामले में, रामपुर भीमसेन के संदीप सिंह ने शिकायत की कि सदर तहसील में तैनात लेखपाल अरुणा द्विवेदी और राजस्व कर्मी आलोक दुबे ने नियमों की अनदेखी करते हुए गलत तरीके से वरासत तैयार कर खुद ही भूमि खरीद ली।
जिलाधिकारी ने इस शिकायत की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी न्यायिक, सदर उपजिलाधिकारी और सहायक पुलिस आयुक्त की तीन सदस्यीय टीम गठित की है। समिति को निर्देश दिया गया है कि 15 दिन के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करें और दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाए।
तय समय सीमा में गड़बड़ी पर होगी कार्रवाई
जिलाधिकारी ने जनसुनवाई पोर्टल पर तय समय सीमा के अंतिम दिन आख्या प्रस्तुत करने वाले अफसरों व कर्मचारियों की सूची भी तैयार कराई है। इन कर्मचारियों को पहले नोटिस भेजकर जवाब मांगा जाएगा। यदि इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो कठोर कार्रवाई होगी।
शिकायतकर्ताओं से फीडबैक लेकर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनकी शिकायतों का सही तरीके से निपटारा हुआ या नहीं। यदि गड़बड़ी पाई गई, तो संबंधित कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी का संदेश
जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतों के समाधान में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह सख्त कदम जिलाधिकारी के भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।