पश्चिम बंगाल में टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के नई बाबरी मस्जिद निर्माण को लेकर दिए गए बयान के बाद सियासत गर्म हो गई है। भाजपा ने इस बयान को लेकर तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है।
क्या कहा हुमायूं कबीर ने?
हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद को मुसलमानों के लिए भावनात्मक मुद्दा बताते हुए कहा कि इसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत बनाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके लिए कोई सरकारी जमीन या अनुदान नहीं लिया जाएगा। इसके निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा, जो जमीन खरीदेगा और मस्जिद का निर्माण करेगा। कबीर ने कहा, “बाबरी मस्जिद 30 साल पहले गिराई गई थी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की। अब इसे बनाने का समय आ गया है।”
भाजपा ने लगाया भड़काऊ बयान का आरोप
भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने हुमायूं कबीर के बयान को भड़काऊ बताते हुए उन पर हिंदू समुदाय को उकसाने का आरोप लगाया। पॉल ने कहा, “हुमायूं कबीर ने हिंदुओं के नरसंहार जैसे बयान दिए थे, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मस्जिद के जवाब में मंदिर बनाने की बात करना सही नहीं है।”
भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपने वोट बैंक की राजनीति के लिए बंगाल को “दूसरा बांग्लादेश” बनाने की कोशिश कर रही हैं।
राम मंदिर पर क्या बोली भाजपा?
भाजपा ने पश्चिम बंगाल में राम मंदिर बनाने की योजना का समर्थन करते हुए इसे भारतीय संस्कृति और संस्कार का हिस्सा बताया। भाजपा नेता शंकर घोष ने कहा, “राम मंदिर का निर्माण स्वाभाविक है और इसे मस्जिद निर्माण से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। बाबरी मस्जिद का एक ऐतिहासिक संदर्भ है, लेकिन उसका निर्माण बंगाल में कैसे हो सकता है?”
टीएमसी विधायक ने दी सफाई
विवाद के बीच हुमायूं कबीर ने सफाई पेश करते हुए कहा कि मस्जिद निर्माण किसी को परेशान करने के लिए नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह केवल आस्था का मामला है। हम इसके लिए सरकारी मदद नहीं लेंगे। ट्रस्ट के माध्यम से पूरी प्रक्रिया न्यायिक तरीके से होगी।”
सांप्रदायिक राजनीति का आरोप
भाजपा ने टीएमसी पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को लेकर भी सवाल उठाए। हालांकि, हुमायूं कबीर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीमा सुरक्षा केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।
क्या है इस विवाद का असर?
पश्चिम बंगाल में मस्जिद और मंदिर निर्माण को लेकर उठे इस नए विवाद ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। एक तरफ टीएमसी इसे आस्था का मामला बता रही है, तो दूसरी तरफ भाजपा इसे सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा मान रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य में सियासी गर्मी बढ़ा सकता है।