नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में बैंकिंग सेक्टर में तेजी से बढ़ती धोखाधड़ी के मामलों पर गहरी चिंता जताई है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में बैंक धोखाधड़ी के मामले 8 गुना बढ़कर 21,367 करोड़ रुपये तक पहुंच गए। यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि में दर्ज 2,623 करोड़ रुपये की तुलना में काफी अधिक है।
इस चौंकाने वाली रिपोर्ट ने बैंकिंग सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बढ़ती समस्या के कारण बैंकिंग सेक्टर और ग्राहकों के बीच विश्वास का संकट खड़ा हो सकता है।
पब्लिक और प्राइवेट बैंकों में बढ़ते मामले
रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी के अधिकतर मामले निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में हुए हैं। निजी क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाएं ज्यादा हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी की राशि अधिक रही है। विशेष रूप से कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी के मामले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे ज्यादा देखे गए हैं। डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते उपयोग के साथ ही साइबर अपराधी भी नए-नए तरीके अपना रहे हैं।
आरबीआई की सख्त हिदायतें
आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग में किसी भी तरह की देरी न करें और ऐसी घटनाओं को तुरंत दर्ज करें। इसके लिए एक मजबूत रिपोर्टिंग सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे समय पर घटनाओं का पता लग सके और उनकी निगरानी हो।
इसके साथ ही, बैंक कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी, ताकि किसी भी स्तर पर चूक से बचा जा सके।
साइबर सुरक्षा पर जोर
आरबीआई ने बैंकों को अपनी साइबर सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करने की सलाह दी है। डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए तकनीकी उपायों को उन्नत करना जरूरी है। इसके साथ ही, ग्राहकों को भी अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी सुरक्षित रखने के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
ग्राहकों के लिए सुझाव:
- किसी भी संदिग्ध लेन-देन की तुरंत रिपोर्ट करें।
- अपनी वित्तीय जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
- बैंकिंग धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहें।
धोखाधड़ी रोकने की योजना
आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वे धोखाधड़ी के मामलों का विश्लेषण कर उनकी जड़ तक पहुंचें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस रणनीतियां तैयार करें। सामूहिक प्रयासों के जरिए ही इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
बैंकों की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना और ग्राहकों का विश्वास बनाए रखना भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए अनिवार्य हो गया है।