लखनऊ में आर.आर. ग्रुप और नव वर्ष चेतना समिति ने भारतीय कालगणना की वैज्ञानिकता और ऐतिहासिकता पर संगोष्ठी आयोजित की। विशेषज्ञों ने भारतीय संस्कृति को समझने के नए दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। मुख्य अतिथि सर्वेश चंद्र द्विवेदी ने संस्कृति की गहराई में जाने का महत्व बताया।
लखनऊ, 04 जनवरी 2025: बख्शी का तालाब स्थित आर.आर. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स और नव वर्ष चेतना समिति ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में भारतीय कालगणना की वैज्ञानिकता और ऐतिहासिकता पर एक संगोष्ठी आयोजित की। इस संगोष्ठी में कई विशेषज्ञों ने भारतीय कालगणना के महत्व, उसकी वैज्ञानिकता और ऐतिहासिक संदर्भ पर गहरे विचार साझा किए।
मुख्य अतिथि सर्वेश चंद्र द्विवेदी (प्रभारी निदेशक, राष्ट्र धर्म प्रकाशन लिमिटेड) ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “भारतीय कालगणना की वैज्ञानिकता और ऐतिहासिक संगोष्ठी पर चर्चा करने से हमें अपनी संस्कृति और परम्परा की गहराई में जाने का अवसर मिलता है। यह हमें अपने इतिहास और सभ्यता को समझने में मदद करता है।”
संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने भारतीय कालगणना की महत्वपूर्ण विशेषताओं पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे यह हमारी संस्कृति और परंपराओं के सटीक अध्ययन में सहायक है। इस आयोजन में डॉ. अर्चना मिश्रा, श्रीमती रेखा त्रिपाठी, डॉ. गिरीश गुप्ता, डॉ. सुनील अग्रवाल, मुदित सिंघल और शोभित नारायण अग्रवाल जैसे प्रमुख विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर, संस्थान के चेयरमैन ने सभी अतिथियों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) सूर्य प्रकाश त्रिपाठी ने सभी सम्मानित अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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